पीडीपी ने अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के कदम को ‘वैध’ ठहराने के लिए नेकां की आलोचना की

पीडीपी ने अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के कदम को ‘वैध’ ठहराने के लिए नेकां की आलोचना की

  •  
  • Publish Date - March 3, 2025 / 07:36 PM IST,
    Updated On - March 3, 2025 / 07:36 PM IST

श्रीनगर, तीन मार्च (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) पर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के कदम को “वैध” ठहराने का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से केंद्र-शासित प्रदेश के लोगों के अधिकारों और स्वाभिमान के लिए खड़े होने का आह्वान किया।

महबूबा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जम्मू-कश्मीर की समस्याएं राज्य का दर्जा बहाल किए जाने तक सीमित नहीं हैं।

बजट सत्र के पहले दिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए महबूबा ने कहा कि इसमें पिछले साल नवंबर में सदन में अनुच्छेद-370 की बहाली के लिए पारित प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं था।

उन्होंने कहा, “इस सरकार ने उस प्रस्ताव का जिक्र करने की हिम्मत नहीं की, जिसके बारे में उसने दावा किया था कि वह अनुच्छेद-370 की बहाली के लिए है।”

पीडीपी प्रमुख ने सवाल किया, “हमारे मुख्यमंत्री कहते हैं कि वह (अरविंद) केजरीवाल नहीं बनना चाहते। कोई उनसे केजरीवाल बनने को नहीं कह रहा, लेकिन खुदा के लिए अपने लोगों के अधिकारों और स्वाभिमान के लिए खड़े हो जाइए। आखिर लोगों ने आपको वोट क्यों दिया?”

महबूबा आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जिक्र कर रही थीं, जिन्हें कथित आबकारी घोटाले के सिलसिले में कई महीने जेल में गुजारने पड़े थे।

पीडीपी प्रमुख ने कहा, “जम्मू-कश्मीर की समस्याएं राज्य का दर्जा बहाल किए जाने तक सीमित नहीं हैं। हम बेदखली की समस्या से जूझ रहे हैं। हमें अपनी संपत्ति, खनिज, नौकरी आदि से बेदखल किया जा रहा है। लोगों ने आपको इन चीजों को दुरुस्त करने के लिए चुना है।”

महबूबा ने कहा कि उनकी पार्टी ने 2015 से 2018 तक जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में सरकार चलाई, लेकिन पार्टी को अपना एजेंडा लागू नहीं करने दिया।

उन्होंने कहा, “हमारा एजेंडा ही गठबंधन का एजेंडा बन गया था, चाहे वह पत्थरबाजों के लिए माफी हो या अलगाववादियों को बातचीत के लिए पत्र लिखना हो। दुर्भाग्य से, ऐसा लगता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (भाजपा के दबाव के आगे) झुक गई है।”

भाषा पारुल नरेश

नरेश