कार्तिक स्नान के बाद पुन्नी मेला में जुटेंगे लोग

कार्तिक स्नान के बाद पुन्नी मेला में जुटेंगे लोग

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  • Publish Date - November 3, 2017 / 01:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:46 PM IST

 कार्तिक पूर्णिमा के दिन को शास्त्रों में खास माना जाता है कहा जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था. त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में भारी तपस्या कर ब्रह्मा जी से मनुष्य और देवताओं के हाथों ना मारे जाने का वरदान हासिल किया था. इसके बाद भगवान शिव ने ही उसका वध कर संसार को उससे मुक्ति दिलाई थी. कार्तिक का पूरा  महीना  ही पवित्र माना जाता है. विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है. इ्स दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है. इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है.छत्तीसगढ़ में इसे पुन्नी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गॉव में नदी के किनारे मेला लगता है जिसे पुन्नी का मेला कहते है। इस पुन्नी के स्नान का छत्तीसगढ़ में खास महत्त्व है लोग सूर्वोदय से पहले उठ कर शरीर में तिल लगा क्र स्नान करते है साथ ही ऐसी मान्यता है की गीले वस्त्र से नदी में रहते हुए दीप बहाने से सारे पाप धूल जाते है और अधिक पुण्य प्राप्त होता है। 

इस विशेष दिवस पर विधि-विधान से पूजा अर्चना करना ना केवल पवित्र माना जाता है बल्कि इससे समृद्धि भी आती है और इससे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं. इस दिन पूजा करने से कुंडली, धन और शनि दोनों के ही दोष दूर हो जाते हैं.. इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर दीप दान करते हैं. इलाहाबाद, वाराणसी, अयोध्या जैसे शहरों में यह बेहद जोर-शोर से मनाया जाता है. इस दिन उपवास करने से हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है.

 पूजा विधि

1. आप प्रातः काल शीघ्र उठकर सूर्य देव को जल अर्पित करें. जल में चावल और लाल फूल भी डालें.

2. सुबह स्नान के बाद घर के मुख्यद्वार पर अपने हाथों से आम के पत्तों का तोरण बनाकर बांधे.

3. सरसों का तेल, तिल, काले वस्त्र आदि किसी जरूरतमंद को दान करें.

4. सायं काल में तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी परिक्रमा करें.

5. इस दिन ब्राह्मण के साथ ही अपनी बहन, बहन के लड़के, यानी भान्जे, बुआ के बेटे, मामा को भी दान स्वरूप कुछ देना चाहिए.

6. जब चंद्रोदय हो रहा हो, तो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है.