संथाली भाषा में संविधान का प्रकाशन भारतीय भाषाओं को सम्मान देने की दिशा में एक और बड़ा कदम: शाह

संथाली भाषा में संविधान का प्रकाशन भारतीय भाषाओं को सम्मान देने की दिशा में एक और बड़ा कदम: शाह

  •  
  • Publish Date - December 26, 2025 / 07:33 PM IST,
    Updated On - December 26, 2025 / 07:33 PM IST

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को संथाली भाषा में संविधान के प्रकाशन को भारतीय भाषाओं को सम्मान देने की दिशा में एक और बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह समुदाय के साथ ही पूरे देश के लिए गर्व की बात है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को संथाली में भारत के संविधान का विमोचन किया।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शाह ने भारत के संविधान को संथाली भाषा में प्रकाशित करने के ऐतिहासिक कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार जताया।

शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारतीय भाषाओं के सम्मान की दिशा में एक और बड़ा कदम! हमारे संविधान का संथाली भाषा में प्रकाशन किया जाना संथाली समाज के साथ ही पूरे देश के लिए गौरव की बात है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अलचिकि लिपि में प्रकाशित यह संविधान हमारे संविधान के आदर्शों एवं मूल्यों को जनजातीय समाज तक और भी स्पष्ट रूप में पहुंचाएगा तथा हमारे संविधान निर्माताओं के सपने को साकार करेगा। इस ऐतिहासिक कार्य के लिए मोदी जी का हार्दिक आभार।’’

संथाली भाषा को 2003 के 92वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। संथाली भारत की सबसे प्राचीन जीवित भाषाओं में से एक है।

झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में रहने वाले अनेक आदिवासी लोग यह भाषा बोलते हैं।

भाषा

नेत्रपाल पारुल

पारुल