फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ याचिका खारिज, सरकार से अलग विचार होना राजद्रोह नहीं: उच्चतम न्यायालय

फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ याचिका खारिज, सरकार से अलग विचार होना राजद्रोह नहीं: उच्चतम न्यायालय

  •  
  • Publish Date - March 3, 2021 / 11:06 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:50 PM IST

नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने को लेकर दिये गये बयान पर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कार्रवाई किये जाने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि सरकार की राय से अलग विचारों की अभिव्यक्ति को राजद्रोह नहीं कहा जा सकता है।

ये भी पढ़ें: तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप के घर-ऑफिस पर रेड, दो दर्जन स्थानों पर पहुंचे आयक…

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और ऐसे दावे करने के लिए याचिकाकर्ताओं पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

पीठ ने कहा, ‘‘सरकार की राय से भिन्न विचारों की अभिव्यक्ति को राजद्रोह नहीं कहा जा सकता है।’’

उच्चतम न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को बहाल किये जाने पर उनके (अब्दुल्ला) बयान का उल्लेख किया गया था और दलील दी गई थी कि यह स्पष्ट रूप से राजद्रोह की कार्रवाई है और इसलिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124-ए के तहत उन्हें दंडित किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें: सिंगर हर्षदीप कौर बनी मां, इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दी जानकारी

यह याचिका रजत शर्मा और डा.नेह श्रीवास्तव ने दाखिल की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री कश्मीर चीन को ‘‘सौंपने’’ की कोशिश कर रहे हैं इसलिए उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

याचिका में कहा गया है, ‘‘श्री फारूक अब्दुल्ला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के तहत एक दंडनीय अपराध किया है। जैसा कि उन्होंने बयान दिया है कि अनुच्छेद 370 को बहाल कराने के लिए वह चीन की मदद लेंगे जो स्पष्ट रूप से राजद्रोह का कृत्य है और इसलिए उन्हें आईपीसी की धारा 124-ए के तहत दंडित किया जाना चाहिए।’’

Read More News: बजट ब्रह्मास्त्र! गांव, गरीब, मजूदर और किसान पर रहा भूपेश सरकार के तीसरे बजट का फोकस