मुस्लिमों पर भी POCSO ऐक्ट, नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने को लेकर हाई कोर्ट का बड़ा बयान
POCSO Act applied to Muslims केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों के बीच हुई शादी पॉक्सो एक्ट के दायरे से बाहर नहीं है।
POCSO Act applied to Muslims
POCSO Act applied to Muslims : केरल। केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों के बीच हुई शादी पॉक्सो एक्ट के दायरे से बाहर नहीं है। यानी पति अगर नाबालिग पत्नी के साथ संबंध बनाता है, तो उस पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि पर्सनल लॉ में विवाह वैध होने के बावजूद यदि एक पक्ष नाबालिग है, तो इसे POCSO के तहत अपराध माना जाएगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इजाजत
जस्टिस बाचू कुरियन थॉमस की सिंगल बेंच ने शुक्रवार को कहा कि अगर कोई भी पार्टी नाबालिग है तो पॉक्सो ऐक्ट लागू होता है। कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। दरअसल 31 साल के शख्स ने एक नाबालिग लड़की से रेप किया था। इसके बाद उसने शादी भी कर ली थी। आरोप है कि उसने लड़की को किडनैप किया और फिर रेप किया। बाद में दबाव में शादी की। आरोपी की तरफ से कहा गया कि उसने कानूनी तरीके से शादी की है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी इजाजत देता है।
आरोपी ने कहा कि उनके समुदाय में 18 साल की उम्र की बाध्यता नहीं है। इसलिए पॉक्सो ऐक्ट के तहत सजा नहीं दी जा सकती। उसने कहा कि पीड़िता के साथ मार्च 2021 में शादी कर ली थी और पर्सनल लॉ के मुताबिक वे दोनों पति-पत्नी हैं। उसने हरियाणा, दिल्ली और कर्नाटक हाई कोर्ट के कई फैसलों का उदाहरण भी दिया हालांकि यह काम नहीं कर सका।
कोर्ट ने कहा पॉक्सो ऐक्ट काफी सोच समझकर बनाया गया
POCSO Act applied to Muslims : जस्टिस कुरियन ने कहा, अगर दोनों में से एक भी पार्टी नाबालिग है तो शादी मान्य नहीं होगा और यह पॉक्सो ऐक्ट के तहत आता है। दूसरे कोर्ट के फैसलों को लेकर उन्होंने कहा कि दूसरे फैसलों से मैं इत्तेफाक नहीं रखता हूं। कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो ऐक्ट काफी सोच समझकर बनाया गया था। यह बाल विवाह और बाल यौन शोषण के खिलाफ है।
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इस हिसाब से शादी होने के बाद भी किसी नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना अपराथ है। बाल विवाह के बाद नाबालिग के विकास पर प्रभाव पड़ता है। यह समाज के लिए अभिशाप है। यह तर्क देते हुए कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।

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