Pragyan Rover Wake Up: फिर से नहीं जाग रहा हमारा प्रज्ञान रोवर.. क्या चाँद के जटिल हालात है इसकी वजहें? जानें क्या होगा आगे

Pragyan Rover Wake Up: फिर से नहीं जाग रहा हमारा प्रज्ञान रोवर.. क्या चाँद के जटिल हालात है इसकी वजहें? जानें क्या होगा आगे

Pragyan Rover Wake Up: फिर से नहीं जाग रहा हमारा प्रज्ञान रोवर.. क्या चाँद के जटिल हालात है इसकी वजहें? जानें क्या होगा आगे

Pragyan Rover Wake Up

Modified Date: September 25, 2023 / 07:37 pm IST
Published Date: September 25, 2023 7:30 pm IST

बेंगलुरु: चंद्रयान-3 की मदद से चाँद पर भेजा गया प्रज्ञान रोवर तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं जाग रहा है। (Pragyan Rover Wake Up) इसरो लगातार प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर से सम्पर्क साधने की कोशिश में जुटा हुआ है लेकिन 48 घंटे से ज्यादा बीत जाने क बाद भी किसी तरह का जवाब उन्हें नहीं मिल पाया है। उम्मीद की जा रही थी कि चाँद के दक्षिण ध्रुव में सूरज की रोशनी पहुंचते ही रोवर का सोलर प्लेट फिर से चार्ज होकर अपना काम शुरू कर देगा और इसरो सेंटर को सिग्नल भी भेजेगा लेकिन फ़िलहाल किसी तरह का रिसपॉन्स इसरो के कमांड सेण्टर को नहीं मिल पाया है। आखिर क्या वजह है कि रोवर फिर से एक्टिव नहीं हो रहा है? आइये जानते है इसके पीछे की वजहें।

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चांद पर सामान्‍य तौर पर रात का तापमान माइनस 140 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। वहीं, दक्षिण ध्रुवीय इलाके में चंद्र रात का तापमान माइनस 210 डिग्री सेल्सियस से भी ज्‍यादा तक गिर जाता है। इस भीषण सर्द मौसम में बैटरियों के साथ दूसरे पेलोड्स का बचना करीब-करीब नामुमकिन है।

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चांद पर मौजूद विकिरण किसी भी उपकरण या इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसरो ने बताया था कि चांद पर विकिरण का स्‍तर काफी ज्‍यादा है। हालांकि, ऐसे हालात के लिए पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं।

इसरो के पूर्व अध्‍यक्ष एएस किरण कुमार का कहना है कि रात में चांद के दक्षिणी इलाके का तापमान माइनस 250 डिग्री सेल्सियस तक गिरने पर बैटरियां खराब हो सकती है। इसके बाद चांद पर सूर्य के निकलने पर इनका फिर से चार्ज होना नामुमकिन हो जाएगा।

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा के मुताबिक, रात में चांद के दक्षिणी ध्रुव का तापमान माइनस 210 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। इस तापमान पर कोई भी प्‍लास्टिक मैटेरियल, कार्बन पावर मैटेरियल और कोई भी इलेक्‍ट्रॉनिक आइटम सही हालत में बचना करीब-करीब नामुमकिन होता है। ये सभी चीजें टूटकर बिखर सकती हैं।

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा के मुताबिक, सबसे बड़ी बात ये है कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर सक्रिय रहने के लिए ही बनाया गया था। ये उम्‍मीद पहले से ही थी कि रात में जब चांद पर भीषण सर्दी पड़ेगी तो चंद्रयान के कुछ हिस्‍से खराब हो सकते हैं।

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लेखक के बारे में

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