राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और साहित्य जगत ने विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर शोक व्यक्त किया

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और साहित्य जगत ने विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर शोक व्यक्त किया

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  • Publish Date - December 24, 2025 / 12:34 AM IST,
    Updated On - December 24, 2025 / 12:34 AM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई नेताओं, लेखकों एवं कवियों ने भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर मंगलवार को गहरा शोक व्यक्त किया।

शुक्ल का मंगलवार शाम रायपुर के एक सरकारी अस्पताल में वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वह एक जनवरी को 89 वर्ष के हो जाते।

मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि प्रख्यात हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल के निधन से साहित्यिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने उनके परिवार के सदस्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की।

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अपनी सहज और सशक्त रचनाओं से गद्य और पद्य को अत्यंत समृद्ध करने वाले रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर, शुक्ल के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उन्हें ‘हिंदी साहित्य जगत में उनके अमूल्य योगदान’ के लिए याद किया जाएगा।

उन्होंने लिखा, ‘‘ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वह हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।’’

शुक्ल के निधन पर उनके लेखन के बारे में बात करते हुए, लेखक प्रेम जनमेजय ने कहा कि वह एक ऐसे कवि थे ‘जो वंचितों के साथ खड़े रहे। मुझे उनके निधन से गहरा दुख हुआ है।’’

लेखक प्रभात रंजन ने कहा,‘‘ शुक्ल एक सच्चे मौलिक हिंदी लेखक थे जिनकी लेखन शैली की बराबरी कोई दूसरा लेखक नहीं कर सकता। उनके लेखन में जो जीवंतता झलकती है, वह किसी अन्य लेखक में नहीं दिखती।’’

कवि लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने शुक्ल को उस युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श विद्यालय बताया, जो साहित्य में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।

लेखिका मैत्रेयी पुष्पा ने शुक्ल को ‘लेखन का महारथी’ बताया, जबकि मृदुला गर्ग ने कहा कि समाज में जो कुछ भी गलत हो रहा था, जो भी अन्याय हो रहा था, उस पर उनकी ‘पैनी नजर’ थी।

शुक्ला की कई पुस्तकों के प्रकाशक राजकमल प्रकाशन के अशोक माहेश्वरी ने कहा कि उन्होंने ‘साहित्य के विशाल कैनवास पर आम लोगों और उनके जीवन की असाधारण प्रकृति’ को व्यक्त किया।

भाषा राजकुमार सुभाष

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