रेलवे ने पूर्ण विद्युतीकरण लक्ष्य के बावजूद इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत का आकलन नहीं किया : कैग

रेलवे ने पूर्ण विद्युतीकरण लक्ष्य के बावजूद इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत का आकलन नहीं किया : कैग

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  • Publish Date - September 23, 2020 / 07:20 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने बुधवार को कहा कि 2022 तक शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल करने के लक्ष्य के बावजूद रेलवे इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरतों का आकलन करने में विफल रहा जिसके परिणामस्वरूप 2012-18 के दौरान डीजल के इंजन 20 फीसद बढ़ गये और इसने रखरखाव की गुणवत्ता को काफी प्रभावित किया।

‘भारतीय रेलवे में इंजनों एवं उसके उत्पादन के मूल्यांकन एवं उपयोगिता तथा एलएचबी डिब्बों के रखरखाव’ विषय पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट बुधवार को संसद के दोनों सदनों में रखी गयी।

कैग ने कहा कि इंजनों की जरूरत का आकलन करते समय इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत और साथ ही डीजल इंजनों के उपयोग में कमी पर उचित तरीके से विचार नहीं किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ विद्युतीकरण और कार्बन की मात्रा कम करने के मिशन में रेलवे ने (सितंबर, 2017) 2022 तक भारतीय रेलवे का शतप्रतिशत विद्युतीकरण का निर्देश जारी किया था । रेलवे बोर्ड ने 2012-19 के दौरान इंजनों की जरूरतों का आकलन करते समय रेलवे में विद्युतीकरण की बढ़ती दर की उपयुक्त ढंग से समीक्षा नहीं की।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘ इंजनों की जरूरत का आकलन करते समय इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत में वृद्धि और साथ ही डीजल इंजनों के उपयोग में कमी पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया।’’

कैग ने कहा कि रेलवे बोर्ड द्वारा इंजनों की जरूरत के लिए अपनाया गया मापदंड पिछले साल के वास्तविक उत्पादन पर आधारित था।

उसने कहा, ‘‘ इंजनों की आवश्यकता वास्तविक जरूरत के आधार पर तय नहीं की गयीं तथा विशिष्ट रूप से निर्धारित मापदंड के आधार पर इंजनों की जरूरतों के आकलन के लिए कोई तय व्यवस्था नहीं है। इससे जरूरत से ज्यादा डीजल इंजन प्रणाली में आ गये। असल में, भारतीय रेलवे में डीजल इंजन 2012-18 के दौरान 20 फीसद बढ़ गये।

भाषा राजकुमार मानसी

मानसी