नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस और अन्य प्राधिकारों को यौन उत्पीड़न की कई शिकायतें दर्ज कराने वालों का एक डेटाबेस तैयार करने की मांग संबंधी याचिका पर बुधवार को शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जब यह कहा गया कि याचिकाकर्ता ने पहले ही दिल्ली पुलिस और अन्य प्राधिकारों के समक्ष अभ्यावेदन देकर अपना पक्ष रखा है।
पीठ ने याचिका के तथ्यों पर कोई राय व्यक्त किये बिना ही इसका निस्तारण कर दिया।
याचिकाकर्ता द्वारा संबंधित प्राधिकारों को डेटाबेस तैयार करने का निर्देश देने के अनुरोध पर, अदालत ने कहा कि यह प्राधिकारों का अधिकार क्षेत्र है और ‘‘वे बेहतर जानते हैं कि ‘पुलिसिंग’ कैसे की जानी चाहिए।’’
अदालत ने कहा कि उठाए गए मुद्दों पर कोई राय व्यक्त किये बिना याचिका का निस्तारण किया जाता है और अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर शीघ्रता से निर्णय लें।
याचिका शोनी कपूर ने दायर की थी। अदालत में उनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता शशि रंजन कुमार सिंह कर रहे थे।
याचिका में सरकार और दिल्ली पुलिस को प्रत्येक पुलिस जिला मुख्यालय में ‘‘बलात्कार या यौन उत्पीड़न के आरोप की एक से अधिक शिकायतें दर्ज कराने वाली शिकायतकर्ताओं के संबंध में एक डेटाबेस बनाए रखने तथा शिकायतकर्ताओं से पहचान पत्र (मुख्य रूप से आधार कार्ड) लेना अनिवार्य करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।’’
भाषा सुभाष सुरेश
सुरेश