‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच 14 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का पुनरीक्षण

‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच 14 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का पुनरीक्षण

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  • Publish Date - December 26, 2025 / 05:23 PM IST,
    Updated On - December 26, 2025 / 05:23 PM IST

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) विपक्षी कांग्रेस द्वारा लगाए गए ‘‘वोट चोरी’’ के आरोपों के बीच निर्वाचन आयोग ने इस वर्ष 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद शुरू की। इसके साथ ही इसने असम में भी एक ‘विशेष पुनरीक्षण’ कराने का आदेश दिया। आयोग 2026 में शेष 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी इसी तरह की कवायद करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

हालांकि, निर्वाचन आयोग को सुर्खियों में बनाए रखने वाली यह प्रक्रिया बिहार में पूरी हो चुकी है, लेकिन असम और अन्य 12 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में यह अब भी जारी है, जहां लगभग 60 करोड़ मतदाता हैं।

अधिकारियों ने बताया कि शेष 40 करोड़ मतदाताओं को अगले साल चरणबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह कवायद अब तक सफल रही है और शेष राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में जारी रहेगी।

मतदाताओं द्वारा साझा की गई जानकारी का डिजिटलीकरण किए जाने के साथ, निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने कहा कि संभवतः आने वाले वर्षों में, मतदाता सूची के शुद्धिकरण की प्रक्रिया अधिक स्वचालित हो जाएगी।

इस वर्ष, एसआईआर के अलावा, निर्वाचन आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव भी कराया। शायद दशकों में यह पहली बार था कि चुनाव के दिन कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई। साथ ही, 243 विधानसभा सीट में से किसी भी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान की सिफारिश नहीं की गई।

बिहार पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां मतदान केंद्रों का युक्तीकरण किया गया है, जिससे प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,500 से घटाकर 1,200 कर दी गई है। इससे मतदान के दिन लगने वाली कतारें कम होंगी।

आयोग ने मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए।

अब लोग मतदान केंद्र के बाहर तक मोबाइल फोन ले जा सकते हैं और इसे फोन ‘डिपॉजिट बॉक्स’ में जमा कर सकते हैं। अब तक मतदान केंद्रों पर फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी और इन्हें जमा करने की कोई सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी।

इस साल कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बीच वोट चोरी के आरोपों को लेकर तीखी बहस भी देखने को मिली।

यह पहली बार था जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने एक वरिष्ठ राजनीतिक नेता से ऐसे आरोप लगाने के लिए माफी मांगने को कहा, जिन्हें साबित नहीं किया जा सका।

‘इंडिया’ गठबंधन के कई नेताओं ने दावा किया था कि मतदाता सूची की शुद्धता के अभियान से करोड़ों वास्तविक, योग्य मतदाता दस्तावेजों की कमी के कारण अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

निर्वाचन आयोग जब बिहार में एसआईआर की तैयारी कर रहा था, तब इसके अधिकारियों ने दावा किया था कि जमीनी स्तर के इसके पदाधिकारियों द्वारा बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमा के कई नागरिकों का पता लगाया गया है।

लेकिन अंततः, आयोग ने ऐसे लोगों (बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमा के) की कोई संख्या या सबूत साझा नहीं किया, जो मतदाता सूची में शामिल होने के योग्य नहीं थे।

बिहार में कराई गई एसआईआर की प्रक्रिया से सबक लेते हुए, निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियमों में संशोधन किया। मतदाताओं से कहा गया कि वे आंशिक रूप से भरे हुए जनगणना प्रपत्र जमा करने के बाद दस्तावेज प्रस्तुत करें, बशर्ते पृष्ठभूमि में काम करने वाले कर्मचारी पिछली एसआईआर अंतिम मतदाता सूची से उनके नाम का मिलान करने में विफल रहे हों।

अधिकतर राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण पिछली बार 2002 और 2004 के बीच हुआ था।

एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य जन्मस्थान की जांच कर अवैध विदेशी प्रवासियों को बाहर निकालना है।

बांग्लादेश और म्यांमा सहित विभिन्न राज्यों में अवैध प्रवासियों पर की जा रही कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण हो जाता है।

निर्वाचन आयोग ने इस महीने की शुरुआत में संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के अनुरोध के बाद छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों की एसआईआर की समयसीमा बढ़ा दी थी।

इसने तमिलनाडु, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा उत्तर प्रदेश में एसआईआर के लिए संशोधित कार्यक्रम जारी किया।

भाषा

नेत्रपाल दिलीप

दिलीप