बेबाक बयान पर लगाम! नितिन गडकरी पर RSS भी है सख्त..छीना जा सकता है ये पद?
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि नितिन गडकरी को भाजपा की शीर्ष निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से हटाने पर संघ भी सहमत था। फैसला लेने से पहले भाजपा की लीडरशिप ने संघ नेतृत्व से बात की थी।
RSS against Nitin Gadkari: नई दिल्ली। नितिन गडकरी के बेबाक बयान इसी तरह जारी रहे तो नितिन गडकरी को अभी और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सूत्रों क माने तो नितिन गडकरी पर संघ भी सख्त है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि नितिन गडकरी को भाजपा की शीर्ष निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से हटाने पर संघ भी सहमत था। फैसला लेने से पहले भाजपा की लीडरशिप ने संघ नेतृत्व से बात की थी।
नितिन गडकरी को पिछले हफ्ते जब भाजपा की संसदीय बोर्ड से हटाया गया तो यह फैसला सभी को हैरान कर दिया था। इसकी काफी चर्चा हुई थी और राजनीतिक पंडित भी इस बात को समझने की कोशिश में जुटे थे कि आखिर संघ के करीबी होने के बाद भी नितिन गडकरी पर इस तरह का एक्शन क्यों लिया गया।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा सूत्रों का कहना है कि नितिन गडकरी को भाजपा की शीर्ष निर्णायक संस्था से हटाने पर संघ भी सहमत था। फैसला लेने से पहले भाजपा की लीडरशिप ने संघ नेतृत्व से बात की थी और उसकी ओर से भी सहमति जताई गई थी। भाजपा और संघ के नेताओं का गडकरी को लेकर मानना है कि वह अपनी बेबाक बोलने की छवि में कैद होते दिखे हैं। पार्टी लीडरशिप को कई चीजें नागवार गुजरती रही हैं, लेकिन इसके बाद भी वह चुभने वाले बयान देते रहे हैं।
गडकरी के बयानों को अनुशासनहीनता मानता है संघ
गडकरी की बेबाक टिप्पणियों को भाजपा नेतृत्व के अलावा संघ ने भी अनुशासनहीनता के तौर पर लिया है। संघ के नेताओं का भी मानना है कि यदि संगठन के कुछ नियम हैं तो फिर उन्हें सभी पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। भाजपा के एक नेता ने कहा, ’नितिन गडकरी अपनी स्वायत्त छवि पेश करने की कोशिश करते रहे हैं। वह खुद को ऐसे दिखाते हैं, जैसे उन पर पार्टी के नियम लागू नहीं होते हैं।’ इसी के चलते भाजपा और संघ की लीडरशिप की इस बात पर सहमति है कि भले ही किसी नेता का बहुत बड़ा कद हो, लेकिन उसे संगठन में अनुशासनहीनता की छूट नहीं दी जा सकती।
नहीं माने तो और भी होगी सख्ती
इतना ही नहीं भाजपा और संघ लीडरशिप का मानना है कि यदि नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों का सिलसिला इसी तरह जारी रखते हैं तो उन्हें और भी शख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। साफ है कि उनके खिलाफ और कार्रवाई हो सकती है यानी भविष्य में नितिन गडकरी को मंत्री पद भी गंवाना पड़ सकता है। पार्टी सूत्रों की माने तो नितिन गडकरी सार्वजनिक तौर पर ही चुभने वाले बयान नहीं देते बल्कि निजी व्यवहार में भी अलग लाइन पर चले जाते हैं। यही नहीं कहा यह भी जा रहा है कि नितिन गडकरी के बयानों को संघ की सहमति से की गई टिप्पणी के तौर पर मीडिया में पेश किया जाता था। यह बात संघ नेतृत्व को पसंद नहीं आयी।
संघ की सलाह को भी किया नजरअंदाज
सूत्र बताते हैं कि संघ लीडरशिप ने उन्हें कई बार पार्टी लाइन पर ही रहने की सलाह दी थी, लेकिन नितिन गडकरी ने उसे भी नजरअंदाज कर दिया। दरअसल नितिन गडकरी ने हाल ही में यहां तक कह दिया था कि आज की राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए हो रही है और कई बार तो सियासत से ही संन्यास लेने का मन करता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में जब भाजपा को हार मिली थी, तब भी उन्होंने पार्टी नेतृत्व को चुभने वाली बात कही थी।

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