नयी दिल्ली : Salary Hike Latest Update उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सरकारी कर्मचारी सालाना वेतनवृद्धि के हकदार हैं, भले ही वे वित्तीय लाभ लेने के अगले ही दिन सेवानिवृत्त क्यों न हो रहे हों। सार्वजनिक क्षेत्र की कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लि. (केपीटीसीएल) की अपील पर न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। कंपनी ने याचिका में कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि सेवानिवृत्त होने के एक दिन पहले भी सरकारी कर्मचारी सालाना वेतनवृद्धि के हकदार हैं।
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Salary Hike Latest Update न्यायाधीश एम आर शाह और न्यायाधीश सी टी रविकुमार की पीठ ने केपीटीसीएल की याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘ अपीलकर्ता (केपीटीसीएल) की ओर से यह दलील दी गयी है कि वार्षिक वेतनवृद्धि प्रोत्साहन के रूप में है और एक कर्मचारी को अच्छा प्रदर्शन करने के लिये प्रोत्साहित करने को लेकर है। इसीलिए, जब वह सेवा में नहीं है, तो वार्षिक वेतनवृद्धि का कोई सवाल ही नहीं है। इस दलील का कोई मतलब नहीं है।’’ शीर्ष अदालत ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के अलग-अलग विचारों को संज्ञान में लिया और इस कानूनी प्रश्न पर निर्णय सुनाया कि क्या एक कर्मचारी के वेतन में उस स्थिति में वार्षिक वृद्धि होनी चाहिए कि वह यह लाभ लेने के अगले दिन ही सेवानिवृत्त हो रहा है। ऐसी स्थिति में क्या वह इसका हकदार है या नहीं।
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पीठ ने कर्नाटक विद्युत बोर्ड कर्मचारी सेवा विनियमन, 1997 के नियम 40(1) पर विस्तार से विचार किया और वार्षिक वेतनवृद्धि प्रदान करने के पीछे की सोच और उद्देश्य का विश्लेषण किया। न्यायालय ने कहा, ‘‘एक सरकारी कर्मचारी को एक वर्ष की सेवा प्रदान करने के दौरान उसके अच्छे आचरण के आधार पर वार्षिक वेतनवृद्धि प्रदान की जाती है। अच्छे आचरण वाले अधिकारियों को सालाना वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाता है… वास्तव में एक वर्ष या निर्धारित अवधि में अच्छे आचरण के साथ सेवा प्रदान करने के लिये वेतनवृद्धि अर्जित की जाती है। वार्षिक वेतनवृद्धि के लाभ की पात्रता पहले से प्रदान की गई सेवा के कारण है।’’
पीठ ने कहा कि केवल इस कारण से कि एक सरकारी कर्मचारी अगले ही दिन सेवानिवृत्त हो रहा है, उसे पिछले वर्ष में अच्छे आचरण और दक्षता के साथ सेवा प्रदान करने के बाद अर्जित वार्षिक वेतनवृद्धि से वंचित नहीं किया जा सकता है। इससे पहले, उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। खंड पीठ ने उस आदेश को खारिज कर दिया था।