न्यायालय ने भारत विरोधी पोस्ट करने के मामले में असम के प्रोफेसर को जमानत दी

न्यायालय ने भारत विरोधी पोस्ट करने के मामले में असम के प्रोफेसर को जमानत दी

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 06:01 PM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 06:01 PM IST

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया पर भारत विरोधी पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किये गये असम के एक कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर को सोमवार को जमानत दे दी। न्यायालय ने हालांकि यह भी कहा कि उसे दी गई राहत नौकरी पर उसकी बहाली का आधार नहीं बननी चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि उसका नाम दो अन्य मामलों में भी दर्ज है, जिनमें उस पर छात्राओं से छेड़छाड़ करने और सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है।

इससे पहले, पीठ ने प्रोफेसर को ‘‘विकृत व्यक्ति’’ और ‘‘युवतियों के लिए खतरा’’ बताया था।

अदालत ने कहा कि जमानत इस बात को ध्यान में रखते हुए दी गई है कि वह छह महीने से अधिक समय से जेल में है और उसके खिलाफ मुकदमे के समाप्त होने में कुछ समय लगने की संभावना है।

पीठ ने आदेश दिया, ‘‘सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, उसे जमानत बॉण्ड प्रस्तुत करने की शर्त पर रिहा किया जाए। उसे प्रत्येक सुनवाई के लिए अदालत में उपस्थित रहना होगा।’’ पीठ ने स्पष्ट किया कि छात्राओं से जुड़े आरोपों को देखते हुए, राहत को उसकी बहाली के आधार के रूप में नहीं देखा जाएगा।

प्रधान न्यायाधीश कांत ने असम सरकार के वकील से कहा कि कॉलेज से उसका निलंबन यथावत रहना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने 12 नवंबर को कोकराझार जिले के गोसाईगांव कॉलेज में प्रोफेसर रहे मोहम्मद जॉयनल आबेदीन को अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसे महिलाओं का पीछा करने और उनके बारे में ऑनलाइन अश्लील टिप्पणियां करने की आदत है तथा उसे आसानी से जेल से रिहा नहीं किया जा सकता।

पीठ ने प्रोफेसर से कहा, ‘‘तुम्हें सोशल मीडिया पर महिलाओं को परेशान करने और अश्लील टिप्पणियां करने की आदत है। तुम एक विकृत व्यक्ति हो और कॉलेज की युवतियों (छात्राओं) के लिए खतरा हो।’’

पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘तुम किस तरह के प्रोफेसर हो? तुम प्रोफेसर के नाम पर धब्बा हो। तुम्हें कॉलेज में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जिस पोस्ट के लिए उसे गिरफ्तार किया गया था, उसके लिए उसने माफी मांगी थी और जैसे ही उसे पता चला कि उसका सोशल मीडिया पोस्ट देशहित के खिलाफ है, उसने उसे हटा दिया।

आबेदीन ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।

उसने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वह छह महीने से अधिक समय से जेल में बंद हैं और पुलिस द्वारा आरोप-पत्र दाखिल करने के बावजूद मामले में मुकदमा शुरू नहीं हुआ है।

उसके वकील ने दावा किया कि गोसाईगांव अदालत में कोई न्यायिक अधिकारी नहीं था, जिसके कारण निकट भविष्य में मुकदमे के निष्कर्ष पर अनिश्चितता है।

उच्चतम न्यायालय ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया था कि वह मामले की पड़ताल करें और गोसाईगांव अदालत में एक न्यायिक अधिकारी की तैनाती करें या आबेदिन के मामले को कोकराझार जिले की सत्र अदालत को स्थानांतरित करें।

गोसाईगांव निवासी आबेदीन ने मई में कथित तौर पर भारत विरोधी पोस्ट किया था, जिसके लिए उसे पहले हिरासत में लिया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश