Rakesh Kishore Advocate || Image- IBC24 News File
Rakesh Kishore Advocate: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने जूताकांड के आरोपी वकील राकेश किशोर की अस्थायी सदस्यता समाप्त कर दी है। राकेश पर 6 अक्टूबर को कोर्ट रूम में भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने का आरोप है। एससीबीए ने उनका प्रवेश कार्ड भी रद्द कर दिया और उन्हें सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया।
एसोसिएशन ने कहा, “ऐसा निंदनीय, अव्यवस्थित और असंयमित व्यवहार न्यायालय के एक अधिकारी के लिए पूरी तरह से अनुचित है और यह पेशेवर नैतिकता, शिष्टाचार और सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है।”
एससीबीए ने यह भी कहा कि, “कार्यकारी समिति का मानना है कि उक्त आचरण न्यायिक स्वतंत्रता, अदालती कार्यवाही की पवित्रता और बार तथा बेंच के बीच आपसी सम्मान और विश्वास के दीर्घकालिक संबंध पर सीधा हमला है। कार्यकारी समिति ने घटना और इस तरह के कदाचार की गंभीरता पर विधिवत विचार-विमर्श किया है और अब यह विचार रखती है कि राकेश किशोर का एससीबीए के अस्थायी सदस्य के रूप में बने रहना इस एसोसिएशन के सदस्यों से अपेक्षित गरिमा और अनुशासन के साथ पूरी तरह असंगत होगा।”
Rakesh Kishore Advocate: एससीबीए द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि यह भी संकल्प लिया गया है कि यदि उन्हें एससीबीए सदस्यता कार्ड जारी किया गया है तो उसे तत्काल रद्द कर दिया जाएगा तथा जब्त कर लिया जाएगा तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव को एक पत्र भेजा जाएगा, जिसमें अनुरोध किया जाएगा कि उन्हें जारी किया गया प्रवेश कार्ड तत्काल रद्द कर दिया जाए। वही इससे पहले घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी वकील राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से अदालतों में प्रैक्टिस करने से निलंबित कर दिया था।
Supreme Court Bar Association terminates SCBA membership of Advocate Rakesh Kishore with immediate effect after finding him guilty of “grave misconduct” inside the courtroom of Justice B R Gavai on Oct 6
The SCBA said Kishore’s “reprehensible, disorderly and intemperate… pic.twitter.com/cOPRjMrUNN
— Bar and Bench (@barandbench) October 9, 2025
बता दें कि, बीते 6 अक्टूबर को किशोर ने मुख्य न्यायाधीश गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने बीच-बचाव किया और वकील को बाहर निकालकर पुलिस के हवाले कर दिया था। अदालत कक्ष से बाहर ले जाते समय किशोर ने “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” के नारे भी लगाए थे। वही इससे पहले, अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ (एआईजेए) ने इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। एक प्रस्ताव में एसोसिएशन ने इस कृत्य को “कानूनी पेशे के लिए अनुचित” बताया और कहा कि यह शिष्टाचार, अनुशासन और संस्थागत अखंडता के संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है।