Rajasthan Drug News : एमडीएमए ड्रग्स के रसायन का पूरा जखीरा बरामद.. गुप्त प्रयोगशाला में चल रहा था काला कारोबार, जानें क्या होता है MDMA ड्रग .
एनसीबी जोधपुर और सिरोही पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई में अवैध ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। छापेमारी में 100 किलोग्राम एमडीएमए तैयार करने वाले रसायन बरामद हुए। आरोपियों ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
Rajasthan Drug News
- नसीबी और सिरोही पुलिस ने ऑपरेशन सिंथेटिक ड्रग के तहत बड़ी कार्रवाई की।
- फैक्ट्री से 100 किलो एमडीएमए बनाने के रसायन और अन्य केमिकल बरामद किए गए।
- पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया राजस्थान से गुजरात तक फैला था नेटवर्क।
Rajasthan Drug News जोधपुर : एनसीबी की जोधपुर टीम ने सिरोही पुलिस के साथ मिलकर ऑपरेशन सिंथेटिक ड्रग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। सिरोही में संचालित अवैध रासायनिक प्रयोगशाला में टीम ने छापा मारा। मौके से एमडीएमए (MDMA) बनाने वाले रसायन सहित प्लास्टिक की बोरियां जब्त की गईं। इस पूरे मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ एनडीपीएस (NDPS) के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
मौके से एमडीएमए बनाने वाले रसायन बरामद
Rajasthan Drug News दरअसल एनसीबी जोधपुर की टीम ने सिरोही के रेवदर के दांत राई गांव में एक गुप्त प्रयोगशाला पकड़ी। मौके से अमोनियम सल्फेट (100 किग्रा), एल्युमिनियम क्लोराइड (75 किग्रा), मोनोमेथिलएमाइन (170 किग्रा), एन-मेथाइल-2-पाइरोलिडोन (220 किग्रा), सोडियम सल्फेट (50 किग्रा), निर्जल सोडियम हाइड्रॉक्साइड (मात्रा सत्यापनाधीन), मैग्नीशियम सल्फेट (50 किग्रा) और चार बैरल व 30 कैन तरल अज्ञात रसायन बरामद किए गए।
100 किलोग्राम एमडीएमए बनाने की तयारी में थे आरोपी
Rajasthan Drug News सिरोही से मिले इनपुट के आधार पर राजस्थान के जालौर और गुजरात के अंकलेश्वर क्षेत्र में भी दबिश दी गई। पुलिस ने इस पूरे मामले में 5 आरोपियों बालाराम, अश्विन, मोतीभाई, आवेश भूराराम पुत्र, और अजीत पटेल को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे 100 किलोग्राम एमडीएमए तैयार करने की योजना बना रहे थे। फिलहाल, सभी के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई जारी है।
क्या होता है एमडीएमए ?
एमडीएमए (3,4-मेथिलीनडाइऑक्सीमेथैम्फेटामाइन) एक सिंथेटिक दवा है जिसमें उत्तेजक और हल्के साइकेडेलिक गुण होते हैं, जिसे आमतौर पर एक्स्टसी या मोली के नाम से जाना जाता है। 1912 में पहली बार संश्लेषित, इसका उपयोग 1970 के दशक में मनोचिकित्सा को बेहतर बनाने के लिए किया गया था, और 1980 के दशक में यह एक स्ट्रीट ड्रग के रूप में लोकप्रिय हो गया। अधिकांश देशों में इसे एक नियंत्रित पदार्थ माना जाता है, जिससे इसका कब्ज़ा और बिक्री अवैध हो जाती है।

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