एसआईटी ने धर्मांतरण की वकालत करने वाले आईएएस अधिकारी के वीडियो की जांच शुरू की

एसआईटी ने धर्मांतरण की वकालत करने वाले आईएएस अधिकारी के वीडियो की जांच शुरू की

एसआईटी ने धर्मांतरण की वकालत करने वाले आईएएस अधिकारी के वीडियो की जांच शुरू की
Modified Date: November 29, 2022 / 08:57 pm IST
Published Date: September 29, 2021 9:16 pm IST

कानपुर, 29 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बुधवार को उस वीडियो क्लिप की जांच शुरू की जिसमें कथित तौर पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को उनके पूर्व सरकारी आवास पर मौलवियों के साथ बैठक में धर्मांतरण की वकालत करते हुए दिखाया गया है।

सीबीसीआईडी के महानिदेशक जीएल मीणा के नेतृत्व में एसआईटी दल लखनऊ से कानपुर पहुंचा और उन्होंने यहां एसआईटी सदस्यों के साथ बैठक की। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने इसकी आलोचना की है।

मंगलवार को सामने आई वीडियो क्लिप में कानपुर के आयुक्त रहे मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन पूर्व में अपनी तैनाती के दौरान यहां आयुक्त के कार्यालय सह आवास पर मुस्लिम विद्वानों के साथ धर्मांतरण पर चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं।

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यह मुद्दा उस समय सामने आया है जबकि उत्तर प्रदेश में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इसने चुनावी रंग ले लिया है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक ट्वीट में आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने छह साल पुराने एक वीडियो की जांच शुरू की है जबकि उस वक्त वह सत्ता में भी नहीं थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर ‘अप्रासंगिक’ जांच कराने और इसे ‘धर्म के आधार पर स्पष्ट लक्षित उत्पीड़न’ करार दिया।

हैदराबाद के सांसद ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि,यदि मानदंड यही है कि किसी भी अधिकारी को धार्मिक गतिविधि से नहीं जुड़ना चाहिए तो कार्यालयों में सभी धार्मिक प्रतीकों / छवियों के उपयोग को प्रतिबंधित करें। यदि सिर्फ घर पर आस्था विश्वास पर चर्चा करना अपराध है तो सार्वजनिक धार्मिक समारोहों में भाग लेने वाले सभी अधिकारियों को दंडित करें। यह दोहरा मानदंड क्यों?

ओवैसी ने पहले घोषणा की थी कि मुस्लिमों के बीच नेतृत्व तैयार करने के मकसद से आगामी उप्र विधानसभा चुनाव में 100 उम्मीदवारों को अपनी पार्टी से मैदान में उतारेंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने एसआईटी को सात दिन में जांच पूरी करने को कहा है। जांच दल का नेतृत्व कर रहे जीएल मीणा ने पहले ही घोषणा की है कि वे सबूत इकट्ठा करेंगे और सात दिनों की निर्धारित समय सीमा के भीतर जांच पूरी करने के लिए बयान दर्ज करेंगे।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानपुर जोन) और एसआईटी के एक सदस्य भानु भास्कर के सहायक ने बताया कि मामले पर विचार-विमर्श करने के बाद जांच दल ने संभागीय आयुक्त के शिविर कार्यालय का दौरा किया जहां कथित वीडियो बनाए गए थे।

एक कथित वीडियो में, इफ्तिखारुद्दीन पुरुषों के एक समूह जो कि प्रत्यक्ष तौर पर मौलवी हैं, के साथ बैठे दिखाई देते हैं, और यह कहते हुए सुनाई देते हैं कि हर घर में इस्लाम फैलाना उनका कर्तव्य है।

इसी से जुड़े वीडियो में, 1985-बैच के आईएएस अधिकारी को एक सभा में बैठे देखा जा सकता है, जहां एक अन्य व्यक्ति कथित रूप से भड़काऊ तरीके से इस्लाम में परिवर्तित होने के गुणों के बारे में बात कर रहा है। इफ्तिखारुद्दीन 2014 से 2017 के बीच कानपुर संभागीय आयुक्त(डिवीजनल कमिश्नर) रहे।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के अध्यक्ष के तौर पर लखनऊ में तैनात इफ्तिखारुद्दीन से जब एक टीवी चैनल के पत्रकार ने इस बाबत सवाल पूछा तो पहले तो उन्होंने उस सभा में उपस्थित होने से इनकार किया लेकिन बाद में स्वीकार किया कि वह वहां मौजूद थे।

उन्होंने टीवी संवाददाता से कहा, ‘मैंने क्या गलत कहा? मेरी बात की गलत व्याख्या की गई।’

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जबसे यह वीडियो वायरल हुए है तब से बताया जाता है कि इफ्तिखारुद्दीन चिकित्सकीय अवकाश पर हैं और शायद वह बिहार स्थित अपने पैतृक शहर सिवान चले गये हैं ।

राज्य के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है और यदि अधिकारी दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी ।

इस बीच, इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ लगे आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उन्हें निलंबित करने की भी मांग की गई है।

मठ मंदिर समन्वय समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भूपेश अवस्थी ने विशेष जांच दल द्वारा जांच शुरू करने से पहले यूपीएसआरटीसी अध्यक्ष को निलंबित करने की मांग की है ।

उन्होंने बुधवार सुबह यहां कानपुर के संभागीय आयुक्त राज शेखर को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा। अवस्थी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से फोन पर कहा कि इफ्तिखारुद्दीन अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के एक बहुत वरिष्ठ अधिकारी हैं और यह आवश्यक है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें निलंबित किया जाए।

अवस्थी ने इससे पहले आईएएस अधिकारी के खिलाफ राज्य सरकार से लिखित शिकायत की थी और वीडियो की प्रतियां जमा की थीं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वीडियो को किसने अपलोड किया, जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया था। गौरतलब हैं कि कुछ महीने पहले, उप्र ने जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए एक कानून बनाया था। हाल के दिनों में, राज्य पुलिस ने कथित धर्मांतरण रैकेट के सिलसिले में दिल्ली सहित कई स्थानों पर कई गिरफ्तारियां की हैं।

उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने रविवार को कथित धर्म परिवर्तन के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। एटीएस ने कहा था कि इनमें दो लोग उप्र के मुजफ्फरनगर के निवासी जबकि तीसरा महाराष्ट्र के नासिक का रहने वाला है।

भाषा सं जफर पवनेश

पवनेश


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