एसओजी मुख्यालय: आतंकी गतिविधियों का पता लगाने से लेकर जमीनी स्थिति की करता है निगरानी

एसओजी मुख्यालय: आतंकी गतिविधियों का पता लगाने से लेकर जमीनी स्थिति की करता है निगरानी

एसओजी मुख्यालय: आतंकी गतिविधियों का पता लगाने से लेकर जमीनी स्थिति की करता है निगरानी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:06 pm IST
Published Date: September 23, 2020 11:31 am IST

(सुमीर कौल)

श्रीनगर, 23 सितम्बर (भाषा) जम्मू कश्मीर के विशेष अभियान दल (एसओजी) के मुख्यालय ‘कार्गो’ में कई तरह की गतिविधियां संचालित होती है क्योंकि विभिन्न टीमें सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे आतंकवादी गतिविधियों का पता लगाने, घाटी की जमीनी स्थिति पर निगरानी रखने और कार्य संचालन के लिए काम करती हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पूरी समर्पण भावना के साथ काम करने वाली प्रत्येक टीम के साथ एसओजी, श्रीनगर में अपना अड्डा बनाने की साजिश रच रहे आतंकवादियों के प्रयासों को विफल करते हुए आगे बढ़ रही है।

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जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित करना है कि कार्गो डर पैदा करने वाली जगह के बजाय उत्कृष्टता का केंद्र बने।

सिंह ने एक अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए एसओजी के जवानों को बधाई देने के बाद मंगलवार को कहा, ‘‘मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि कार्गो उत्कृष्टता का केन्द्र बने और मुझे लगता है कि यह सपना अब पूरा हो गया है।’’

जिस इमारत में कभी भारतीय एयरलाइन्स कार्गो था, वह अब एसओजी का मुख्यालय है जो विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के रूप में भी जाना जाता है।

सिंह ने कहा, ‘‘हम अवाम के दोस्त हैं।’’

काली वर्दी में और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मास्क पहलने हुए एसओजी के कमांडों ने बॉलीवुड फिल्म ‘‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’’ का नारा ‘‘’हाउज़ द जोश’’ अपनाया हुआ है। इस साल एसओजी ने श्रीनगर शहर में सात विशेष अभियानों को अंजाम दिया है और विभिन्न संगठनों के 16 आतंकवादी इन अभियानों में मारे गये है।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस अधीक्षक ताहिर अशरफ के नेतृत्व में एक कार्गो इकाई पूछताछ के दौरान वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल कर रही है और आतंकवादी विरोधी गतिविधियों के लिए समर्पित टीमों की तैनाती की गई है।

‘कार्गो’ इमारत को 1994 में आतंकवाद के शुरूआती दिनों में जम्मू कश्मीर पुलिस ने ले लिया था। इसके बाद यह एसटीएफ का मुख्यालय बन गई।

एसओजी आतंकवाद की राह पकड़ने वाले युवाओं को वापस मुख्यधारा में लाने का प्रयास भी करता है। अशरफ ने बताया ‘‘अगर कश्मीर घाटी से कोई युवा लापता होता है तो हम तत्काल उसकी पुरानी गतिविधियों तथा संपर्कों का पता लगाते हैं ताकि हमें पता चल सके कि उसे आतंकवाद की राह पर कौन ले गया होगा। कुछ मामलों में हमें सफलता भी मिली और युवा सुरक्षित परिवार के पास लौट आए।’’

एसओजी में एक समूह सोशल मीडिया मंचों पर भी नजर रखता है जिनका इस्तेमाल आतंकवादी नए लोगों की भर्ती करने में करते हैं। अशरफ ने बताया ‘‘अगर कोई युवक किसी ऐसी साइट को लगातार खोलता है जो कट्टरपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाती है तो यह हमें पता चल जाता है। हम उस युवक के अभिभावकों को सूचित करते हैं और युवक की काउंसेलिंग भी की जाती है।’’

भाषा

देवेंद्र मनीषा

मनीषा


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