अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस समिति को भेजा

अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस समिति को भेजा

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  • Publish Date - March 9, 2021 / 01:51 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:53 PM IST

बेंगलुरु, नौ मार्च (भाषा) कर्नाटक विधानसभाध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कांग्रेस विधायक बी के संगमेश के खिलाफ सदन में उनके हाल के ‘‘अनुचित’’ व्यवहार के लिए विशेषाधिकार हनन के नोटिस को मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के विरोध के बावजूद विशेषाधिकार समिति को भेज दिया।

संगमेश को गत चार मार्च को तब 12 मार्च तक के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था जब उन्होंने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (ओएनओई) पर विशेष चर्चा के दौरान अपनी पार्टी के सदस्यों के विरोध प्रदर्शन के बीच सदन में अपनी कमीज उतार दी थी।

सदन में उपस्थित अपेक्षित सदस्यों के समर्थन से भाजपा के वरिष्ठ विधायक ए ज्ञानेंद्र द्वारा विशेषाधिकार हनन का नोटिस चर्चा के लिए मंजूर किया गया था। हालांकि कांग्रेस सदस्यों द्वारा विरोध और नारेबाजी के चलते विधानसभा में काफी शोरगुल था इसलिए चर्चा नहीं हो सकी और अध्यक्ष ने इसे विशेषाधिकार समिति को भेज दिया।

मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजने का जिक्र करते हुए अध्यक्ष कागेरी ने कांग्रेस सदस्यों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी विशेषाधिकार हनन के नोटिस के बारे में चर्चा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें संसदीय मूल्यों को कायम रखना है और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना है … अपनी गैर-जिम्मेदार राजनीति को सदन से बाहर रखें।’’

विशेषाधिकार हनन संबंधी अपने नोटिस पर अपनी प्रारंभिक दलील के दौरान ज्ञानेंद्र ने कहा कि कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के दौरान 4 मार्च को संगमेश का आचरण आसन के प्रति अपमानजनक था और यह सदन के विशेषाधिकार के हनन के बराबर है।

उन्होंने संगमेश द्वारा विधानसभा में अपनी कमीज उतारने की घटना का जिक्र किया, कांग्रेस सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि उन्होंने ऐसा स्वयं के और अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज झूठे मामलों को लेकर गुस्से के चलते किया।

इस पर भाजपा के कुछ सदस्यों ने मांग की कि उन्हें स्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाना चाहिए।

विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि संगमेश को उनके आचरण के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया है, तो इसे फिर से लेने की क्या आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह (संगमेश) खुद का बचाव करने के लिए सदन में नहीं हैं .. इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’

इसके जवाब में अध्यक्ष ने सिद्धरमैया को बताया कि ज्ञानेंद्र विशेषाधिकार हनन के नोटिस पर बोल रहे हैं और नियमों के अनुसार इसे तब भी लिया जा सकता है, जब जिस व्यक्ति के खिलाफ इसे लिया गया है वह सदन में मौजूद नहीं है। अध्यक्ष ने उनसे कहा कि यदि उन्हें कोई आपत्ति है तो वह उसे दलील दिये जाने के बाद उठा सकते हैं।

सिद्धरमैया हालांकि अपने इस रुख पर कायम रहे कि जब सदन में संबंधित सदस्य नहीं है तो ऐसी चर्चा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि अतीत में इसी तरह की घटनाओं के दौरान ऐसा क्यों किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘यह सही नहीं है..हम ऐसा नहीं होने देंगे।’’

कांग्रेस के सदस्य तब आसन के सामने आ गए और ‘‘सीडी सरकार’’, ‘‘आरएसएस की कठपुतली’’ जैसे नारे लगाकर अपना विरोध जताया।

भाजपा सदस्यों ने इसके जवाब में ‘‘इटली कांग्रेस’’ जैसे नारे लगाये।

गृह मंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा कि पूरे सदन का विशेषाधिकार हनन हुआ है क्योंकि संगमेश का आचरण अशोभनीय था, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ बोला है और आसन का अनादर किया है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘विशेषाधिकार हनन नोटिस और प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है… विपक्ष के नेता अपने विधायक द्वारा शर्ट उतारने के आचरण का बचाव कर रहे हैं, वास्तव में दुखद है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि उनके (संगमेश) खिलाफ मामला गलत है, तो वे अदालत जाएं और राहत लें। क्या यहां कपड़े उतारने से मामला वापस ले लिया जाएगा?’’

ज्ञानेंद्र ने कांग्रेस पर इस तरह के बार-बार विरोध प्रदर्शन करके सदन के सदस्यों की आवाज को दबाने की कोशिश करने और इसे ‘‘अलोकतांत्रिक’’ करार देते हुए आरोप लगाया कि निलंबन के बाद भी संगमेश ने आदेशों की अवहेलना करते हुए सदन में प्रवेश करने की कोशिश की और मीडिया के सामने स्पीकर और आसन के खिलाफ बुरा भला कहा।

भाजपा विधायक ने कहा कि संगमेश का आचरण सदन के विशेषाधिकार के हनन के बराबर है और आग्रह किया कि उन्हें अनिश्चितकाल के लिए सदन से निष्कासित किया जाए।

इसके बाद ज्ञानेंद्र ने मामले पर विस्तृत चर्चा के लिए प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति मांगी।

अध्यक्ष कागेरी ने तब यह जानना चाहा कि क्या सदन में कम से कम 10 सदस्य ज्ञानेंद्र के नोटिस के समर्थन में हैं, जिसके बाद भाजपा के सभी विधायक समर्थन में खड़े हुए। इसके बाद, स्पीकर ने घोषणा की कि वह चर्चा की अनुमति देंगे।

इस पर आपत्ति जताते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि संगमेश ने अध्यक्ष का अनादर नहीं किया है और अगर उन्होंने बाहर कुछ भी बोला है तो इसका कोई प्रमाण नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसे (चर्चा) कैसे अनुमति दी जा रही है, हम ऐसा नहीं होने देंगे… कर्नाटक विधानसभा के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है।’’

बार-बार के अनुरोध के बावजूद जब कांग्रेस के सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा और विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर बहस नहीं होने दी तब अध्यक्ष ने इसे देखने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशेषाधिकार समिति को भेज दिया।

भाषा. अमित नरेश

नरेश