श्रीलंका सेना के कमांडर ने जनरल द्विवेदी से मुलाकात की

श्रीलंका सेना के कमांडर ने जनरल द्विवेदी से मुलाकात की

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  • Publish Date - June 15, 2025 / 12:48 AM IST,
    Updated On - June 15, 2025 / 12:48 AM IST

नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) श्रीलंका सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी के जी एम लासांथा रोड्रिगो ने थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से यहां मुलाकात की और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने एवं सैन्य संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

भारतीय सेना ने ‘एक्स’ पर इस मुलाकात की कुछ तस्वीरें साझा कीं और लिखा, ‘‘भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को और मबजूत करते हुए श्रीलंका सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी के जी एम लासांथा रोड्रिगो ने ‘आर्मी हाउस’ में जनरल उपेंद्र द्विवेदी से मुलाकात की। उन्होंने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाने, सैन्य संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय स्थिरता एवं वैश्विक शांति के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के उद्देश्य से चर्चा की।’’

लेफ्टिनेंट जनरल रोड्रिगो 11 से 14 जून तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल रोड्रिगो ने शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) के वसंत सत्र की पासिंग आउट परेड (पीओपी) की समीक्षा की और कहा कि सच्चे नेतृत्व की परख शांति में नहीं बल्कि संघर्ष के समय होती है।

अपने-अपने देशों की सेनाओं में कमीशन पाने वाले 451 ‘जेंटलमैन कैडेट’ को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल रोड्रिगो ने कहा कि कमीशन पाना केवल शुरुआत है। रोड्रिगो स्वयं इस संस्थान के पूर्व छात्र हैं।

उन्होंने कहा, ‘कठिन समय तब शुरू होता है जब आप संस्थान छोड़ते हैं। अधिकारी बनने से अधिक कठिन अधिकारी बने रहना होता है, क्योंकि सैन्य नेतृत्व का मतलब चिल्लाकर आदेश देना नहीं है, बल्कि आपके साथ काम करने वाले लोगों का सम्मान अर्जित करना है।’

रोड्रिगो ने कहा, ‘सच्चे नेतृत्व की परीक्षा शांति में नहीं, बल्कि संघर्ष के समय होती है। मैंने स्वयं श्रीलंका के आंतरिक संघर्ष के दौरान मुझे इसका एहसास हुआ था।”

उन्होंने कैडेट से कहा कि वे अपने लोगों का नेतृत्व करें और उनकी सुरक्षा को अपनी सुरक्षा से ऊपर रखें, भय के समय उनकी ताकत बनें, संदेह के समय प्रकाशस्तंभ बनें तथा निराशा के वक्त आशा की किरण बनें।

साल 1990 में आईएमए से पढ़ाई करने वाले रोड्रिगो ने कहा कि अकादमी में सीखे गए मूल्यों और सैन्य सेवा की भावना ने उन्हें आज एक सैनिक और नेता बनाया है।

भाषा

सिम्मी रंजन

रंजन