‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के मूर्तिकार राम सुतार का 100 वर्ष की आयु में निधन

'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के मूर्तिकार राम सुतार का 100 वर्ष की आयु में निधन

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के मूर्तिकार राम सुतार का 100 वर्ष की आयु में निधन
Modified Date: December 18, 2025 / 08:04 pm IST
Published Date: December 18, 2025 8:04 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

नोएडा/मुंबई (भाषा) केवड़िया स्थित विशालकाय ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ और संसद परिसर में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिष्ठित प्रतिमा सहित कई ऐतिहासिक प्रतिमाओं के निर्माता प्रख्यात मूर्तिकार राम सुतार का बुधवार देर रात नोएडा स्थित उनके आवास पर निधन हो गया।

सुतार के पुत्र अनिल सुतार ने बताया कि उनकी आयु 100 वर्ष थी और वह उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे।

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मूर्तिकार राम सुतार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश की कई प्रमुख हस्तियों ने शोक व्यक्त किया और कहा कि उनकी रचनाएं ”भारत के इतिहास और संस्कृति की प्रभावशाली अभिव्यक्ति है”।

‘स्टैच्यू मैन’ के नाम से प्रसिद्ध सुतार अपने अंतिम समय तक सक्रिय रहे और उन्होंने मुंबई के इंदु मिल में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक और गुवाहाटी में गोपीनाथ बारदोली की मूर्ति, जिसका जल्द ही अनावरण होना है, जैसी बड़ी परियोजनाओं में काम किया।

महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंदुर गांव में 19 फरवरी, 1925 को एक साधारण परिवार में जन्मे सुतार ने मुंबई के जे जे स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर में स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्हें 1999 में पद्म श्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। हाल ही में, सुतार को महाराष्ट्र के सर्वोच्च पुरस्कार महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘श्री राम सुतार जी के निधन से मैं बहुत दुखी हूं। वे एक असाधारण मूर्तिकार थे जिनकी कलात्मकता ने भारत को केवड़िया स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ सहित कुछ सबसे प्रतिष्ठित स्मारक दिए।’

उन्होंने कहा कि सुतार का काम भारत के इतिहास, संस्कृति और सामूहिक चेतना की सशक्त अभिव्यक्ति के रूप में हमेशा सराहा जाता रहेगा।

मोदी ने कहा, “उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्रीय गौरव को अमर कर दिया है। उनकी कृतियां कलाकारों और नागरिकों को समान रूप से प्रेरित करती रहेंगी। उनके परिवार, प्रशंसकों और उनके अद्भुत जीवन और कार्यों से प्रभावित सभी लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। ओम शांति।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सुतार के योगदान ने भारत की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है।

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा,“स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सहित उनकी विशाल कृतियां भारत की अमिट विरासत के महान प्रतीक के रूप में खड़ी हैं। उनकी कला आने वाली पीढ़ियों के कलाकारों को प्रेरित करती रहेगी। मैं उनके परिवारजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।’

राम वनजी सुतार, जिनकी कृतियों ने देश की सार्वजनिक कला की पहचान गढ़ी, भारतीय स्मारक शिल्प को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले कलाकार थे।

सात दशकों से अधिक के अपने करियर में उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित प्रतिमाओं और स्मारकों को गढ़ा। उन्होंने कला की यथार्थवादी शैली को ऐतिहासिक गहराई के साथ जोड़ा और कांस्य व पत्थर पर अपनी बेजोड़ महारत के लिए देश-विदेश में अपार सम्मान हासिल किया।

गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के मुख्य शिल्पकार के तौर पर उन्हें वैश्विक ख्याति मिली। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा वाली इस परियोजना ने विशालकाय स्मारक कला के उस्ताद के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और ऊंचाइयां प्रदान की।

उनकी विशाल कृतियों में संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा, डॉ. बी. आर. आंबेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज सहित देश-विदेश में कई राष्ट्रीय नेताओं और ऐतिहासिक हस्तियों की प्रतिमाएं शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होने के बावजूद सुतार अपनी सादगी और विनम्रता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने युवा मूर्तिकारों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया।

सुतार अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके पुत्र अनिल ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग ज़िले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा सहित कई प्रमुख परियोजनाओं में उनके साथ काम किया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, असम के मुख्यमंत्री सहित कई अन्य नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने भी राम सुतार को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

फडणवीस ने कहा कि सुतार के निधन के साथ मूर्तिकला के क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया। उन्होंने कहा कि उनकी कृतियां अपने संतुलित अनुपात और सजीव अभिव्यक्ति के लिए विशिष्ट थीं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने भी सुतार के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि सुतार की कलाकृतियों में जोरहाट में लचित बोड़फूकन की भव्य प्रतिमा और गुवाहाटी में गोपीनाथ बोरदोलोई की प्रतिमा शामिल है। बोरदोलोई की प्रतिमा का जल्द ही अनावरण होने वाला है।

मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘दो अलग-अलग कालखंड के असम के नायकों की प्रतिमाओं को जीवंत बनाने में उनका व्यक्तिगत योगदान उनकी कार्यकुशलता और असाधारण कारीगरी को दर्शाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनके निधन से राष्ट्र ने वास्तव में एक अद्वितीय कलाकार को खो दिया है।’’

भाषा प्रचेता पवनेश

पवनेश


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