‘ऐसी मानसिकता किसी क्रूरता से कम नहीं’ कोर्ट ने सुनाया फैसला, 13 साल पहले दायर की गई थी याचिका

'ऐसी मानसिकता किसी क्रूरता से कम नहीं' कोर्ट ने सुनाया फैसला, 13 साल पहले दायर की गई थी याचिका 'Such mentality is not less than any cruelty',

‘ऐसी मानसिकता किसी क्रूरता से कम नहीं’ कोर्ट ने सुनाया फैसला, 13 साल पहले दायर की गई थी याचिका

 Court ruled

Modified Date: November 29, 2022 / 08:52 pm IST
Published Date: August 17, 2022 1:43 pm IST

 Court ruled: कोच्चि। आज के समय वैवाहिक जीवन में थोड़ी नोंकझोक आम से हो गई है। लेकिन जब किसी की तुलना औरों से की जाये तो ये आत्मसम्मान की बात हो जाती है, जिसे थोड़ा भी नाकारा नहीं जा सकता है। कोई भी पति यदि अपनी पत्नी को बार-बार किसी बात को लेकर ताने देता है या उसकी तुलना किसी दूसरी महिला से करता है तो यह एक तरह की मानसिक क्रूरता है।

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 Court ruled: केरल हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है। जस्टिस अनिल.के.नरेंद्रन और सी.एस. सुधा की पीठ ने कहा कि पति (प्रतिवादी) का लगातार पत्नी (याचिकाकर्ता) को यह ताने देना कि वह उसकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है। वह अन्य महिलाओं जैसी नहीं है। यह सब कहना निश्चित रूप से एक मानसिक क्रूरता है।

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बता दें कि अदालत 13 साल पहले दायर किए गए तलाक के एक मामले में सुनवाई कर रही थी, जिस दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर दंपति को तलाक की मंजूरी दे दी। दरअसल परिवार अदालत ने दोनों को पहले ही तलाक की इजाजत दे दी थी, लेकिन पति ने इक आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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 Court ruled: तलाक के लिए दायर अपनी याचिका में महिला के आरोप लगाया कि साल 2009 में शादी के बाद से ही उसके पति को वह शारीरिक रूप से आकर्षक नहीं लगती है। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसके पति के अनुसार वह उसके लिए घृणा की वस्तु बन गई है। महिला के अनुसार वह दोनों शादी के बाद बमुश्किल एक महीना साथ रहे हैं।

अदालत ने कहा, ‘लगातार दुर्व्यवहार, वैवाहिक संभोग न होना, पति की पत्नी के प्रति उदासीनता और पत्नी के बदचलन होने का दावा, ये सभी कारक हैं, जो मानसिक और कानूनी क्रूरता के कारण बनते हैं।’

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