नई दिल्ली : Supreme Court compared to brothel: सु्प्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक वकील ने उस आपत्तिजनक वीडियो का जिक्र किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के बारे में काफी अनर्गल बातें कही गई थीं। वकील ने कहा है कि एक वीडियो में सुप्रीम कोर्ट की तुलना वेश्यालय से की गई है। इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) चंद्रचूड़ ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
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Supreme Court compared to brothel: कोर्ट की सुनवाई पर नजर रखने वाली वेबसाइट ‘बार एंड बेंच’ के अनुसार, वकील ने सीजेआई के सामने कहा, ”मेरी अंतरात्मा इसका समर्थन नहीं कर रही है। एक वीडियो है, जिसमे मणिपुर मामले के बाद जजो को दोगला कहा गया। सुप्रीम कोर्ट की तुलना वेश्यालय से की गई है।”
आपत्तिजनक वीडियो का जिक्र आने के बाद सीजेआई ने इसका जवाब दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ” चिंता मत करो, इससे कोई फर्क नही पड़ता। एक वीडियो प्रसारित हो रहा है। उसे हम देख लेंगे।” बता दें कि सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट और जजों को लेकर कई बार आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती रही हैं।
Supreme Court compared to brothel: विपक्षी दल ने भी कुछ महीने पहले सीजेआई चंद्रचूड़ की ऑनलाइन ट्रोलिंग को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की थी। मार्च महीने में 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की ऑनलाइन ट्रोलिंग के खिलाफ तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया था।
राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में कहा गया था, ”हम सभी जानते हैं कि भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ महाराष्ट्र में सरकार गठन और राज्यपाल की भूमिका के मामले में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। जबकि मामला अदालत में विचाराधीन है, ट्रोल आर्मी ने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू कर दिया है। शब्द और सामग्री गंदे और निंदनीय हैं, जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाखों में देखा गया है।”
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Supreme Court compared to brothel: वहीं, पिछले दिनों चेन्नई में आईआईटी मद्रास के 60वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई ने भी ऑनलाइन ट्रोलिंग का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था, ”सोशल मीडिया ने हमें उम्र और राष्ट्रीयता की बाधाओं को दूर करते हुए लोगों से जुड़ने की अनुमति दी है। लेकिन इससे ऑनलाइन दुर्व्यवहार और ट्रोलिंग जैसे नए व्यवहार को भी जन्म मिला है। इसी तरह, एआई में व्यक्तियों का दुरुपयोग करने, गुमराह करने, धमकी देने या यहां तक कि धमकाने की क्षमता होती है। हानिकारक उद्देश्यों के लिए इसके दुरुपयोग को रोकना आपके (छात्रों) लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक होगा।”