जबरन धर्मांतरण मामले में न्यायालय ने मौलवी को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया

जबरन धर्मांतरण मामले में न्यायालय ने मौलवी को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया

जबरन धर्मांतरण मामले में न्यायालय ने मौलवी को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया
Modified Date: January 13, 2023 / 12:44 pm IST
Published Date: January 13, 2023 12:44 pm IST

नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने प्रलोभन देकर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी एक मौलवी को शुक्रवार को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी।

न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने आरोपी वरवाया अब्दुल वहाब महमूद को 16 जनवरी से 28 जनवरी तक रोजाना सुबह 11 बजे संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “आरोप और प्रत्यारोप पर जाने से पहले, याचिकाकर्ता को पूछताछ और जांच के लिए 16 जनवरी से 28 जनवरी के बीच सुबह 11 बजे जांच एजेंसी/अधिकारी के सामने पेश होने दें। इसके बाद मामले के गुण-दोष पर विचार किया जाएगा।”

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शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके बाद 13 फरवरी को मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि वरवाया एक इस्लामिक विद्वान हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं।

मौलवी ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने पहले उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

प्राथमिकी के अनुसार, अभियुक्त ने अन्य लोगों से वित्तीय सहायता और मदद प्राप्त करने पर लगभग 37 हिंदू परिवारों और 100 हिंदुओं का वित्तीय सहायता प्रदान करके कथित रूप से धर्मांतरण किया और सरकारी निधि से बने एक घर को ‘इबादतगाह’ में बदल दिया।

भरूच के आमोद पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, उसके खिलाफ गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 4 और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत आपराधिक साजिश रचने, वैमनस्य पैदा करने और आपराधिक धमकी देने के आरोप में अपराध दर्ज किए गए थे।

भाषा प्रशांत मनीषा

मनीषा


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