बलात्कार मामले में उच्चतम न्यायालय ने दोषसिद्धि रद्द की, कहा-अंतर्ज्ञान से लगा सुलह संभव

बलात्कार मामले में उच्चतम न्यायालय ने दोषसिद्धि रद्द की, कहा-अंतर्ज्ञान से लगा सुलह संभव

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  • Publish Date - December 27, 2025 / 05:08 PM IST,
    Updated On - December 27, 2025 / 05:08 PM IST

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में इस बात का संज्ञान लेते हुए एक व्यक्ति की सजा रद्द कर दी कि शिकायतकर्ता और दोषी ने आपस में शादी कर ली है।

न्यायालय ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के बीच सहमति से बने संबंध को गलतफहमी के कारण आपराधिक रंग दे दिया गया था।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, ‘‘जब यह मामला शीर्ष अदालत के समक्ष आया, तो मामले के तथ्यों पर विचार करने के बाद हमें यह अंतर्ज्ञान हुआ कि यदि अपीलकर्ता और पीड़िता एक-दूसरे से शादी करने का फैसला करते हैं, तो उन्हें एक बार फिर से साथ लाया जा सकता है।’’

अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों ने इसी साल जुलाई में शादी की थी और तब से साथ रह रहे थे।

अदालत ने पांच दिसंबर के अपने फैसले में कहा, ‘‘यह उन दुर्लभ मामलों में से एक है, जहां इस अदालत के हस्तक्षेप पर अपीलकर्ता अंततः अपनी दोषसिद्धि और सजा दोनों को रद्द किए जाने से लाभान्वित हुआ।’’

न्यायालय ने उस व्यक्ति की अपील पर फैसला सुनाया है, जिसने अप्रैल 2024 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसकी सजा निलंबित करने की याचिका खारिज कर दी गई थी।

निचली अदालत ने इस मामले में व्यक्ति को दोषी ठहराया था और उसे 10 साल के कठोर कारावास के साथ 55,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

पीठ के अनुसार, उसने अपीलकर्ता और महिला से उनके माता-पिता की उपस्थिति में बातचीत की थी और उसे पता चला था कि वे आपस में शादी करने के इच्छुक हैं। न्यायालय ने अपीलकर्ता को अंतरिम जमानत दे दी थी और जुलाई में दोनों पक्षों का विवाह संपन्न हुआ था। उनके माता-पिता इस घटनाक्रम से प्रसन्न हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, हमने इस मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है और शिकायत के साथ-साथ अपीलकर्ता के खिलाफ पारित दोषसिद्धि और सजा को रद्द किया है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि गलतफहमी के कारण, दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से बने संबंध को आपराधिक रंग दिया गया और उसे विवाह के झूठे वादे के अपराध में बदल दिया गया, जबकि वास्तव में दोनों पक्षों का एक-दूसरे से विवाह करने का इरादा था।’’

न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता की मुलाकात महिला से 2015 में एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हुई थी और दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे। इसके बाद, दोनों के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने और महिला के अनुसार, उसने अपीलकर्ता द्वारा किए गए विवाह के कथित झूठे वादे पर भरोसा किया।

पीठ के अनुसार, विवाह की तिथि स्थगित करने की अपीलकर्ता की दलील से महिला में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई होगी, जिसके कारण उसने आपराधिक शिकायत दर्ज कराई।

उसने नवंबर 2021 में प्राथमिकी दर्ज कराई।

भाषा सुरेश दिलीप

दिलीप