तिरुवनंतपुरम, 27 दिसंबर (भाषा) राजनीतिक दलों ने शनिवार को केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के हिस्से के रूप में मतदाताओं की सुनवाई कम से कम करने का अनुरोध किया।
यह अनुरोध मुख्य निर्वाचन अधिकारी रतन यू केलकर द्वारा एसआईआर प्रक्रिया के हिस्से के रूप में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बुलाई गई बैठक के दौरान उठाया गया था।
वर्तमान में 19.32 लाख से अधिक मतदाताओं को दस्तावेज दाखिल करना है, क्योंकि वे 2002 की मतदाता सूची में शामिल नहीं थे, जिसका उपयोग दक्षिणी राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए आधार सूची के रूप में किया जा रहा है।
राजनीतिक दलों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि अगर नोटिस जारी होने के बाद मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) द्वारा सुनवाई की जाती है तो मतदाताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने निर्वाचन आयोग से मतदाताओं को पहचान दस्तावेज ऑनलाइन जमा करने की अनुमति देने का आग्रह किया और सुविधा के लिए आभासी सुनवाई की मांग की।
उन्होंने मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाए जाने पर प्रमाण के रूप में जाति प्रमाण पत्र के उपयोग पर भी आपत्ति जताई।
हालांकि, भाजपा ने मांग की कि उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एसआईआर के हिस्से के रूप में सुनवाई की जानी चाहिए। केलकर ने कहा कि मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाने का निर्णय ईआरओ का है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी व्यक्तियों की सुनवाई नहीं करने जा रहे। यदि नोटिस प्राप्त करने वाले लोगों द्वारा जमा किए गए दस्तावेज संतोषजनक पाए जाते हैं, तो ईआरओ ऐसे व्यक्तियों की सुनवाई न करने का निर्णय ले सकते हैं।’’
सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का प्रतिनिधित्व एम विजयकुमार ने किया, जबकि जेआर पद्मकुमार भाजपा के लिए उपस्थित हुए।
कांग्रेस प्रतिनिधि एम के रहमान ने हाल ही में जारी मसौदा मतदाता सूची में कथित विसंगतियों की ओर इशारा किया।
संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) नेताओं ने बैठक के उद्देश्य पर चिंता जताई और आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों के सुझावों पर विचार नहीं किया जा रहा है।
इसके जवाब में केलकर ने कहा कि अगर राजनीतिक दल बैठकों को निरर्थक कवायद के रूप में देखते हैं, तो उन्हें अगले सप्ताह से बंद किया जा सकता है।
हालांकि, राजनीतिक दलों ने एसआईआर प्रक्रिया की समीक्षा के लिए अगले सप्ताह फिर से बैठक करने का निर्णय लिया। मसौदा सूची में कुल 2,54,42,352 मतदाताओं को शामिल किया गया है, जबकि 24,08,503 मतदाताओं के नाम गणना चरण पूरा होने के बाद हटा दिए गए थे। मसौदा मतदाता सूची पर दावे एवं आपत्तियां 22 जनवरी 2026 तक दाखिल की जा सकती हैं।
भाषा संतोष सुरेश
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