ED के अधिकारों पर ’सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, चिदंबरम समेत इन नेताओं की बढ़ेंगी मुश्किलें !

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, उनके सांसद बेटे कार्ति चिदंबरम, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उद्योगपति शिविंदर मोहन सिंह आदि के खिलाफ चल रही जांच रफ्तार पकड़ सकती है। इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, फारूक अब्दुल्ला, भूपिंदर सिंह हड्डा, नवाब मलिक, अभिषेक बनर्जी, पार्थ चटर्जी समेत कई अन्य नेता भी जांच के घेरे में हैं।

ED के अधिकारों पर ’सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, चिदंबरम समेत इन नेताओं की बढ़ेंगी मुश्किलें !

'Supreme Court' stamps on ED's rights

Modified Date: November 29, 2022 / 08:56 pm IST
Published Date: July 28, 2022 12:48 pm IST

‘Supreme Court’ stamps on ED’s rights: नई दिल्ली। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। इस फैसले के बाद कई नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कई हाई प्रोफाइल मामलों में प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी की जांच पिछले कुछ समय से एक तरह से ठंडे बस्ते में पड़ी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से अपने अधिकारों पर मुहर लगने के बाद एजेंसी की गतिविधियों में तेजी आ सकती है।

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, उनके सांसद बेटे कार्ति चिदंबरम, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उद्योगपति शिविंदर मोहन सिंह आदि के खिलाफ चल रही जांच रफ्तार पकड़ सकती है। इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, फारूक अब्दुल्ला, भूपिंदर सिंह हड्डा, नवाब मलिक, अभिषेक बनर्जी, पार्थ चटर्जी समेत कई अन्य नेता भी जांच के घेरे में हैं।

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‘Supreme Court’ stamps on ED’s rights: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बहुत से लोगों के खिलाफ जांच और मुकदमे की कार्रवाई इसलिए भी धीमी पड़ गई थी क्योंकि ईडी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही थी। जहां सौ से ज्यादा याचिकाएं दाखिल करके पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, जमानत, जब्ती जैसे अधिकारों को चुनौती दी गई थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया और पीएमएलए एक्ट के तहत ईडी के अधिकारों पर संवैधानिक मुहर लगा दी।

एससी ने ये भी कहा कि ईडी को आरोपियों को इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट देने की भी जरूरत नहीं है। ये एक तरह से पुलिस एफआईआर जैसी होती है, इसमें तलाशी, जब्ती और समन करने की वजहें बताई जाती हैं। कई आरोपियों ने तो ईडी के सामने जवाबी हलफनामा दाखिल करने से भी छूट मांगी थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ईडी की गिरफ्तारी से जुड़ी प्रक्रिया मनमानी नहीं है, जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों को छोड़कर ईडी, ैथ्प्व्, क्त्प् के अधिकारियों के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं। कोर्ट ने कहा कि ईडी के निदेशक को तलाशी, जांच, समन, बयान दर्ज कराने, दस्तावेज लेने, हलफनामा मांगने, गवाहों के परीक्षण आदि मामलों के उसी तरह के अधिकार हैं, जैसे सिविल कोर्ट को होते हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com