उच्चतम न्यायालय ने दंपति के विवाह को समाप्त किया, बच्चे की देखभाल करने का निर्देश दिया

उच्चतम न्यायालय ने दंपति के विवाह को समाप्त किया, बच्चे की देखभाल करने का निर्देश दिया

उच्चतम न्यायालय ने दंपति के विवाह को समाप्त किया, बच्चे की देखभाल करने का निर्देश दिया
Modified Date: August 20, 2025 / 07:21 pm IST
Published Date: August 20, 2025 7:21 pm IST

नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक दंपति का विवाह समाप्त करते हुए दोनों को अपने नाबालिग बच्चे की देखभाल करने की नसीहत दी। न्यायालय ने कहा कि अब जब वैवाहिक संबंध समाप्त हो चुका है, तो दोनों के बीच की ‘‘अहम की भावना’’ भी समाप्त हो जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने यह आदेश तब पारित किया, जब दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से अपने विवाह को समाप्त करने के लिए संयुक्त याचिका दायर की थी।

पीठ ने अलग हुए दंपति से कहा, ‘‘अब अहंकार नहीं होना चाहिए। अब शादी समाप्त हो चुकी है। जब वैवाहिक रिश्ता नहीं रहा तो अहंकार खत्म हो जाना चाहिए। अब बच्चे का ध्यान रखें।’’

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शीर्ष अदालत इस मामले में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

दोनों पक्षों की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि अपील के लंबित रहने के दौरान कई दौर की बातचीत के बाद उन्होंने कुछ शर्तों पर आपसी सहमति से तलाक के आदेश द्वारा विवाह विच्छेद करने का निर्णय लिया है।

पीठ ने उनके बच्चे की अभिरक्षा और मुलाकात के अधिकार के पहलू पर गौर किया, जिससे संकेत मिलता है कि बच्चे की अभिरक्षा मां के पास रहेगी, जबकि मुलाकात का अधिकार संयुक्त आवेदन के अनुरूप पिता के पास होगा।

यह बात ध्यान दिलाई गई कि वह व्यक्ति अपनी नाबालिग बेटी के लिए हर महीने 50,000 रुपये का भुगतान करेगा।

संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दायर संयुक्त आवेदन में समझौते की शर्तें और नियम हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी के साथ पढ़े जाएंगे।

अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में ‘‘पूर्ण न्याय’’ करने के लिए आवश्यक कोई भी डिक्री या आदेश पारित करने का अधिकार देता है, जबकि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी आपसी सहमति से तलाक से संबंधित है।

पीठ ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष इस अदालत के समक्ष उपस्थित हैं। इस अदालत द्वारा पूछताछ किए जाने पर, दोनों पक्षों ने कहा कि वे वास्तव में अपने सभी विवादों के समाधान पर पहुंच गए हैं और उन्होंने आपसी सहमति से तलाक के आदेश द्वारा अपने विवाह को समाप्त करने का निर्णय लिया है।’’

अपील का निपटारा करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उनका विवाह आपसी सहमति से तलाक के आदेश द्वारा समाप्त माना जाना चाहिए।

भाषा

देवेंद्र सुरेश

सुरेश


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