फिर शुरू होगा ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे, कोर्ट कल करेगी नई तारीखों का ऐलान

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में रुकी हुई सर्वे प्रक्रिया को एक बार से शुरू करवाई जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट कल दोपहर दो बजे इस सर्वे के लिए नई

फिर शुरू होगा ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे, कोर्ट कल करेगी नई तारीखों का ऐलान
Modified Date: November 29, 2022 / 08:01 pm IST
Published Date: May 9, 2022 8:12 pm IST

लखनऊ। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में रुकी हुई सर्वे प्रक्रिया को एक बार से शुरू करवाई जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट कल दोपहर दो बजे इस सर्वे के लिए नई तारीख का ऐलान करेगी। पिछले हफ्ते मस्जिद की सर्वे शुरू की गई थी लेकिन मुस्लिम समुदाय की आपत्ति के बाद इसे रोक दिया गया था। अब एक बार फिर इस मस्जिद की सर्वे प्रक्रिया शुरू की जाएगी। \

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मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी पर जताई आपत्ति

दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 3 दिन का सर्वे प्रस्तावित था। पहले दिन सर्वे का काम पूरा हो गया। दूसरे दिन जैसे ही सर्वे के लिए टीम पहुंची तो उन्हें मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद के अंदर जाने से रोक दिया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने वीडियोग्राफी को लेकर आपत्ति जताई थी। इसके साथ ही भारी हंगामा हुआ था और सर्वे को बीच में ही रोक दिया गया था।

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मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद की पश्चिमी दीवार के बाहर श्रृंगार गौरी की मूर्ति है। उन्हें सर्वे करवाने से कोई आपत्ति नहीं है, पर मस्जिद के अंदर जाना गलत है। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने ऐसा कोई भी आदेश जारी नहीं किया है। वहीं, हिंदू पक्ष का कहना है कि श्रृंगार गौरी की मूर्ति का अस्तित्व प्रमाणित करने के लिए पुरे परिसर का निरीक्षण होना चाहिए।

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क्या है पूरा मामला

दरअसल हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां मंदिर नहीं था और शुरुआत से ही मस्जिद बनी थी। इसको लेकर हिंदू पक्ष की ओर से 31 साल पहले साल 1991 में मुकदमा दाखिल किया गया था। इस मुकदमे के अनुसार हिंदू पक्ष मस्जिद वाली जगह हिन्दुओं को देकर वहां पूजा करने की इजाजत मांग रहा है।

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वहीं मुस्लिम पक्ष ने वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए इस मुकदमे का दाखिल होना ही गलत बताया है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अगर 15 अगस्त 1947 को यहां मस्जिद मानी गई है तो अब भी उसे मस्जिद ही रहने दे। एक ओर जहां मुस्लिम पक्ष इस मामले में दाखिल सभी अर्जियों को खारिज करने की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर हिंदू पक्ष सर्वेक्षण के जरिये अपनी दलीलों का आधार खोजने की बात कर रहा है।


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