मुस्लिम समुदाय में तेजी से आई जन्मदर में गिरावट, इन धर्मों के लोग भी पैदा करना चाहते हैं कम बच्चे, NFHS सर्वे में हुआ खुलासा

मुस्लिम समुदाय में तेजी से आई जन्मदर में गिरावट! NFHS-5 data: Total fertility rate dips, sharpest decline among Muslims

मुस्लिम समुदाय में तेजी से आई जन्मदर में गिरावट, इन धर्मों के लोग भी पैदा करना चाहते हैं कम बच्चे, NFHS सर्वे में हुआ खुलासा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:04 pm IST
Published Date: May 9, 2022 5:57 pm IST

नई दिल्ली: Total fertility rate dips भारत सरकार ने 2019-20 का NFHS सर्वे की रिपोर्ट जारी कर दी है। जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में रहने वाले सभी समुदायों में जन्मदर में कमी आई है। देश की महिलाओं की फर्टिलिटी रेट में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। बता दें कि फर्टिलिटी रेट से मतलब एक महिला अपने जीवन में जितने बच्चों को जन्म देती है, उसके औसत से है। जारी सर्वे में के अनुसार 2015-16 में हुए चौथे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे और 2019-20 में हुए चौथे NFHS सर्वे के बीच में फर्टिलिटी रेट में काफी अंतर देखा गया है।

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मुस्लिमों में तेजी से गिरा जन्म दर

Total fertility rate dips आंकड़े देखने पर यह भी पता चलता था कि जिस समुदाय के लोग पहले ज्यादा बच्चे पैदा किया करते थे उनकी फर्टिलिटी रेट में गिरावट भी ज्यादा तेजी से आई है। मुस्लिम समुदाय में सबसे ज्यादा 9.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यह 2.62 से घटकर 2.36 हो गई है। हालांकि दूसरे समुदायों के तुलना में मुस्लिमों में फर्टिलिटी रेट अब भी ज्यादा है।

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पांच बार हो चुका है एनएचएफएस सर्वे

1992-93 में यह सर्वे पहली बार हुआ था। तब से अब तक टोटल फर्टिलिटी रेट में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। उस वक्त फर्टिलिटी रेट 3.40 हुआ करती थी जो कि अब कम होकर 2.0 रह गई है। यह रेट रिप्लेसमेंट लेवल से भी कम है। रिप्लेसमेंट लेवल वह औसत होता है जिसपर जनसंख्या स्थिर हो जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का डेटा बताता है कि मुस्लिमों के अलावा दूसरे बडे़ धार्मिक समुदायों में टोटल फर्टिलिटी रेट रिप्लेसमेंट लेवल से कम हो गया है। वहीं मुस्लिमों में फर्टिलिटी रेट कम होने के बावजूद यह रिप्लेसमेंट लेवल से ऊपर है। अब तक पांच बार एनएफएचएस का सर्वे हो चुका है। इतने सालों में मुस्लिमों का टीआरएफ 46.5 फीसदी और हिंदुओं का 41.2 फीसदी कम हो चुका है।

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मां की शिक्षा से है जन्मदर का संबंध

फर्टिलिटी डेटा यह भी दिखाता है कि बच्चों की संख्या का सीधा संबंध मां की शिक्षा से भी है। मुस्लिमों में 15 से 49 साल की महिलाओं में 31.49 फीसदी महिलाएं अशिक्षित हैं और केवल 44 फीसदी ऐसी हैं जिन्होने स्कूली शिक्षा पूरी की है। वहीं हिंदुओं में यह आंकड़ा 27.6 फीसदी और 53 फीसदी का है। यह भी बात ध्यान देने योग्य है कि एक ही समुदाय में कई बार अलग-अलग राज्यों में टोटल फर्टिलिटी रेट में अंतर आ जाता है। अगर उत्तर प्रदेश की बात करें कतो हिंदुओं का टोटल फर्टिलिटी रेट 2.29 फीसदी है। वहीं तमिलनाडु में इसी धर्म समूह का टीआरएफ 1.75 है। इसी तरह यूपी में मुस्लिमों का टीआरएफ 2.6 है तो तमिलनाडु में 1.93 है जो कि रिप्लेसमेंट रेट से कम है।

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