जाति आधारित सर्वेक्षण से इनकार करके तमिलनाडु सरकार ‘सामाजिक न्याय को दफन’ कर रही है: अंबुमणि

जाति आधारित सर्वेक्षण से इनकार करके तमिलनाडु सरकार ‘सामाजिक न्याय को दफन’ कर रही है: अंबुमणि

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  • Publish Date - December 17, 2025 / 10:04 PM IST,
    Updated On - December 17, 2025 / 10:04 PM IST

चेन्नई, 17 दिसंबर (भाषा) पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) नेता डॉ. अंबुमणि रामदास ने बुधवार को मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पर आरोप लगाया कि उन्होंने जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने से इनकार करके तमिलनाडु में ‘सामाजिक न्याय को दफन’ कर रही है, जबकि राज्य सरकार के पास ऐसा करने की पूरी कानूनी शक्ति है।

उन्होंने कहा कि पीएमके पिछले 36 वर्षों से जाति-आधारित सर्वेक्षण की मांग कर रही है और आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर स्टालिन “लगातार तीन झूठ” फैला रहे हैं।

अंबुमणि ने राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण की मांग को लेकर यहां आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “पहला झूठ यह है कि केवल केंद्र सरकार ही यह (जाति-आधारित सर्वेक्षण) करा सकती है। दूसरा यह कि अगर यह कराया गया तो अदालतें इसे रोक देंगी। तीसरा यह कि इसके लिए कोई कानून नहीं है और हमारे पास कोई अधिकार नहीं है।”

उन्होंने आरोप लगाया, “तमिलनाडु सामाजिक न्याय की जन्मभूमि है, लेकिन आज द्रमुक सरकार यहां सामाजिक न्याय को दबा रही है।”

पीएमके नेता ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी जनगणना की नहीं, बल्कि सर्वेक्षण की मांग कर रही है।

उन्होंने कहा, “हम जो मांग कर रहे हैं वह जनगणना नहीं है। यह जातिगत जनगणना नहीं है। जातिगत जनगणना केंद्र सरकार को करानी चाहिए। हम जाति-आधारित सर्वेक्षण की मांग कर रहे हैं, जिसे राज्य सरकार करा सकती है। अदालतें भी इसकी पुष्टि कर चुकी हैं।”

भाषा राखी संतोष

संतोष