नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह विदेशियों के लिए बने मटिया ट्रांजिट शिविर का औचक निरीक्षण कर वहां की स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता आदि की जांच करे।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को निर्देश दिया कि वे उचित अधिकारियों को नामित करें, जो बिना किसी पूर्व सूचना के शिविर का दौरा करें और स्वच्छता की जांच करें।
उच्चतम न्यायालय ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को आज से एक महीने के भीतर निरीक्षण के बाद रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि चार नवंबर तय की।
असम में विदेशी घोषित किए गए लोगों के लिए बनाए गए एक निरुद्ध केंद्र की ‘‘दयनीय स्थिति’’ पर चिंता जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने 26 जुलाई को कहा था कि वहां पर्याप्त जल आपूर्ति, उचित स्वच्छता और पर्याप्त शौचालय सुविधाओं जैसी आवश्यक सेवाओं की कमी है।
पीठ विदेशी घोषित किए गए लोगों के निर्वासन और असम में निरुद्ध केंद्रों में प्रदान की गई सुविधाओं से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में भोजन और चिकित्सा सहायता की उपलब्धता के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
न्यायालय ने असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को निर्देश दिया था कि वह केन्द्र में आपूर्ति किये जाने वाले भोजन की मात्रा और गुणवत्ता, रसोईघर में साफ-सफाई, तथा चिकित्सा एवं अन्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक बार और वहां का दौरा करें।
उच्चतम न्यायालय ने 16 मई को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि असम के एक निरुद्ध केंद्र में बंद ऐसे 17 विदेशियों को निर्वासित किया जाए जिनके खिलाफ कोई अपराध पंजीकृत नहीं है।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश