आइजोल, 21 दिसंबर (भाषा) मिजोरम सरकार ने उच्च रखरखाव लागत के कारण सात छोटे जलविद्युत बिजली संयंत्रों का निजीकरण करने या उन्हें अनुबंध पर देने का निर्णय लिया है। विद्युत एवं ऊर्जा (पी एंड ई) विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि इस फैसले की घोषणा मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने शनिवार को सेरछिप के थेनजोल में 10-डब्ल्यूएम सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन करते हुए की।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय इस विश्वास के साथ लिया गया कि इससे राज्य को लाभ होगा, क्योंकि परियोजनाओं की रखरखाव लागत अधिक है।
हालांकि, इस कदम का विपक्षी कांग्रेस ने विरोध किया।
कांग्रेस के पूर्व विधायक टी टी जोथनसंगा ने कहा कि यह निर्णय मिजोरम के हितों के विरुद्ध है और इन परियोजनाओं की राजस्व अर्जित करने की क्षमता को देखते हुए यह उचित नहीं है।
जोथनसंगा के अनुसार, मिज़ोरम में वर्तमान में लगभग 14 जलविद्युत परियोजनाएं हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट से अधिक है। इनमें से नौ परियोजनाएं कांग्रेस सरकार के दौरान, तीन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार के दौरान और दो परियोजनाएं पूर्व मुख्यमंत्री ब्रिगेडियर टी सेलो के नेतृत्व वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थीं।
उन्होंने दावा किया कि छोटे बिजली संयंत्र राजस्व उत्पन्न कर रहे हैं।
विद्युत एवं ऊर्जा विभाग के अधिकारी ने कहा कि सरकार अगले वर्ष दो बिजली परियोजनाओं के निर्माण की शुरुआत करेगी, जिसमें से एक आइजोल से लगभग 60 किलोमीटर दूर तुइरिनी नदी पर 24 मेगावाट की परियोजना है और दूसरी मणिपुर सीमा के पास सैतुअल जिले की तुइवई नदी पर 132 मेगावाट की परियोजना शामिल है।
प्रस्तावित 24 मेगावाट की तुइरिनी जलविद्युत परियोजना की अनुमानित लागत 676 करोड़ रुपये है, जबकि 132 मेगावाट की तुइवई जलविद्युत परियोजना की लागत लगभग 2,400 करोड़ रुपये आंकी गई है। इससे प्रतिवर्ष 38 करोड़ यूनिट (एमयू) बिजली उत्पादन होने की उम्मीद है।
भाषा योगेश नेत्रपाल
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