Mandi Cloudburst: आसमान से बरसी आफत, बादल फटने से तबाह हुआ पूरा परिवार, जिंदा बची तो सिर्फ 10 माह की मासूम
Mandi Cloudburst: आसमान से बरसी आफत, बादल फटने से तबाह हुआ पूरा परिवार, जिंदा बची तो सिर्फ 10 माह की मासूम
Mandi Cloudburst/ Image Credit: ANI
- मंडी में बादल फटने से तबाही।
- 10 माह की बच्ची को छोड़कर तबाह हुआ पूरा परिवार।
- बच्ची को रोता देख पड़ोसियों ने बचाई जान।
- बच्ची की मदद के लिए आगे आ रहे लोग।
शिमला। Mandi Cloudburst: मंडी जिले के तलवारा गांव में बादल फटने की घटना में दस महीने की नितिका के परिवार के तीन सदस्य या तो बह गए या उनकी मृत्यु हो गई और वह संभवतः अपने परिवार की अकेली जीवित सदस्य रह गयी है। मंगलवार को जब गांव में बादल फटा तब बच्ची के 31 वर्षीय पिता रमेश कुमार अपने घर के अंदर घुस रहे पानी को रोकने की कोशिश कर रहे थे तभी बादल फटने से गांव में तबाही मच गई। उनका शव मलबे में मिला।
पड़ोसियों ने बचाई बच्ची की जान
बताया गया कि, नितिका की मां राधा देवी (24) और दादी पुर्णू देवी (59) रमेश की तलाश में निकल पड़ीं। दोनों महिलाओं का अभी तक पता नहीं चल पाया है। पड़ोसी प्रेम सिंह ने बच्ची को अकेले रोते हुए देखा और उसे रमेश के चचेरे भाई बलवंत के पास ले गए। बलवंत पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के निजी सुरक्षा अधिकारी हैं। बलवंत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘बच्ची हमारे पास है।’
मदद के लिए सामने आए लोग
उन्होंने कहा कि उप-विभागीय मजिस्ट्रेट ने बच्ची के नाम पर बैंक खाता खोलने की पेशकश की है और यह खाता कल खोला जाएगा। बलवंत ने कहा, ‘उन्होंने (एसडीएम ने) कहा कि बहुत सारी कॉल आ रही हैं और लोग इस त्रासदी के बारे में सुनने के बाद बच्ची की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।’ बादल फटने से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र पवारा, थुनाग, बैदशाड़, कंडा और मुराद हैं। इन सभी पंचायतों में भारी तबाही हुई है, जहां सड़क, पानी और बिजली योजनाओं को काफी नुकसान पहुंचा है।
अब तक हो चुकी है चौदह लोगों की मौत
Mandi Cloudburst: अधिकारियों ने बताया कि मंडी जिले में बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की दस घटनाओं में अब तक चौदह लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 31 लापता लोगों की तलाश जारी है। बलवंत ने बताया कि, रमेश ने भी मात्र छह महीने की उम्र में अपने पिता को खो दिया था। रमेश एक किसान था जिसकी कमाई अच्छी नहीं थी और घर के खर्च के लिए उसे पुर्नू देवी की तनख्वाह पर निर्भर रहना पड़ता था। पुर्नू देवी एक सरकारी स्कूल में चपरासी है और सात महीने में रिटायर होने वाली थी। नितिका की देखभाल के लिए उसके रिश्तेदारों को 25 हजार रूपये की राहत राशि दी गई है।

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