Rajasthan High Court: नौकरी के लिए ससुर ने की थी बहू के नाम की सिफारिश, आया ज्वाइनिंग लेटर तो महिला ने किया ऐसा काम… अब कोर्ट ने दी ये सख्त सजा
राजस्थान हाई कोर्ट ने एक मार्मिक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने आदेश दिया कि एक विधवा बहू की सरकारी नौकरी की सैलरी से हर महीने 20,000 रुपये काटकर उसके ससुर को दिए जाएँ, क्योंकि उसी ससुर की मदद से उसे यह नौकरी मिली थी। लेकिन नौकरी मिलते ही बहू ने अपने बुजुर्ग ससुर-सास को छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली, जिससे अदालत ने इस कृत्य को अनुकंपा नियुक्ति की भावना के साथ “धोखा” बताया।
Rajasthan High Court / Image Source: IBC24
- राजस्थान हाई कोर्ट का बड़ा फैसला विधवा बहू पर।
- नौकरी दिलाने वाले ससुर को अब बहू की सैलरी से ₹20,000 हर महीने।
- बहू ने वादा तोड़ ससुर-सास को छोड़ा, कोर्ट ने सुनाया सबक सिखाने वाला आदेश।
Rajasthan High Court: राजस्थान हाई कोर्ट ने एक बेहद गंभीर मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल कोर्ट ने के एक विधवा बहू को मिली सरकारी नौकरी के वेतन से हर महीने रुपये काटकर ससुर को देने का आदेश सुनाया है, उसके ससुर की बदौलत ही उसने ये नौकरी पाई थी लेकिन नौकरी मिलती ही उसने न सिर्फ अपने बुजुर्ग ससुर-सास को बेसहारा छोड़ दिया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
क्या है पूरा मामला?
राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे मामले में बड़ा और भावनात्मक फैसला सुनाया है, जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया है कि एक विधवा बहु की सरकारी नौकरी के वेतन से हर महीने 20,000 रुपये काटकर उसके ससुर को दिए जाएँ क्योंकि उसी ससुर की मदद से उसे ये नौकरी मिली थी। लेकिन नौकरी मिलते ही बहू ने अपने बुजुर्ग ससुर-सास को छोड़ दिया और फिर दूसरी शादी कर ली।
पति की मौत के बाद ससुर ने दरियादिली दिखाई
दरअसल ये मामला साल 2015 का है। अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में काम करने वाले राजेश कुमार की सेवा के दौरान मौत हो गई। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। विभाग ने मृतक के पिता, श्री भगवान, को “अनुकंपा नियुक्ति” यानी सहानुभूति के आधार पर नौकरी का प्रस्ताव दिया। लेकिन श्री भगवान ने अपने लिए नौकरी न लेकर, अपनी विधवा बहू शशि कुमारी का नाम आगे बढ़ाया ये सोचकर कि वो परिवार को संभालेगी और उनकी देखभाल करेगी।
शपथ पत्र में किए तीन वादे
नौकरी पाने के लिए शशि कुमारी ने अक्टूबर 2015 में एक शपथ पत्र दिया था जिसमें उसने तीन वादे किए थे जिनमें थे- वो अपने ससुर-सास के साथ रहेगी, उनकी देखभाल करेगी और दोबारा शादी नहीं करेगी।
इन्हीं वादों के आधार पर उसे मार्च 2016 में लोअर डिवीजन क्लर्क (LDC) की नौकरी दे दी गई। कोर्ट ने कहा कि उसका पुनर्विवाह करना उसका व्यक्तिगत अधिकार है, लेकिन उसने जो लिखित वादा किया था वो नौकरी का मुख्य आधार था, इसलिए उसे निभाना जरूरी था।
कोर्ट का सख्त आदेश
Rajasthan High Court: राजस्थान हाई कोर्ट ने इस मामले को इंसानी दर्द और पीड़ा का एक बेहद मार्मिक उदाहरण बताया। अदालत ने कहा कि इस केस में बहू के व्यवहार ने अनुकंपा नियुक्ति जैसी व्यवस्था के असली और नेक उद्देश्य को ही बेकार कर दिया है। कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि परिवार का मतलब सिर्फ मृतक की पत्नी नहीं होता, बल्कि इसमें वो सब लोग आते हैं जो उस व्यक्ति पर निर्भर थे जैसे माता-पिता, पत्नी और बच्चे। अदालत ने ये भी कहा कि बहू ने इस नौकरी का लाभ एक शपथ पत्र के आधार पर लिया था, इसलिए अब वो उस वादे से मुकर नहीं सकती। अगर उसे ऐसा करने दिया जाए तो ये खुद अनुकंपा योजना के साथ धोखा माना जाएगा।
अब सास-ससुर को मिलेगा पैसा
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने ये आदेश दिया है कि 1 नवंबर 2025 से, विभाग बहू की सैलरी से हर महीने 20,000 रुपये की कटौती करे और ये राशि सीधे ससुर (श्री भगवान) के बैंक खाते में जमा कराए। और ये भुगतान उनके जीवनकाल तक जारी रखना होगा।
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