हरिद्वार में प्रस्तावित महाकुंभ पर भी मंदी की मार, उत्तराखंड सरकार को अब तक नही मिला पैसा

हरिद्वार में प्रस्तावित महाकुंभ पर भी मंदी की मार, उत्तराखंड सरकार को अब तक नही मिला पैसा

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  • Publish Date - January 29, 2020 / 02:02 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:52 PM IST

हरिद्वार। हरिद्वार में प्रस्तावित 2021 में महाकुंभ को लेकर उत्तराखण्ड सरकार जहां तैयारी में है वहीं अब तक केंद्रीय सहायता न मिल पाने से परेशानियों का सामना भी कर रही है। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कई बार दिल्ली जाकर महाकुंभ के लिए केंद्र से अनुदान मांग चुके हैं, पर अब तक राज्य को कोई सहायता नही मिली है। पिछले हफ्ते 18 जनवरी को दिल्ली में मुख्यमंत्री ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात की लेकिन वहां से भी आश्वासन मिला है।

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पीएम से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि 2010 में हरिद्वार कुंभ मेले में 8 करोड़ श्रद्धालु आए थे, 2021 में 15 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आ सकते हैं, इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वृहद स्तर पर स्थाई और अस्थाई सुविधाएं विकसित हो रही हैं। कुंभ क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है, सड़क, विद्युत, पेयजल आपूर्ति, चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता और कूड़ा निस्तारण, आवासीय तथा पार्किंग आदि की व्यवस्था का काम किया जा रहा है, राज्य को इसके लिए केंद्र से मदद की जरूरत है।

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पिछले साल भी 15 जून को मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलकर कुंभ मेले के लिए 5,000 करोड़ रुपये की वनटाइम ग्रान्ट जल्द से जल्द देने का अनुरोध किया था, वित्त मंत्री ने उन्हें केंद्र से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया था, पर अब तक वह नजर नहीं आया है। कुंभ में एक साल से भी कम का वक्त बचा है सरकार के हाथ-पांव फूलने लगे हैं।

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भाजपा के लिए 2021 का कुंभ इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2022 में राज्य के चुनाव होने हैं, अगर सरकार कुंभ को भव्य और व्यवस्थित तरीके से आयोजित नहीं कर सकी तो विपक्ष को उसे घेरने का मौका मिल जाएगा। केंद्रीय मदद में हो रही देरी से धर्माचार्यों में भी बेचैनी है। अगर आगामी इस साल के बजट में भी महाकुंभ के लिए केंद्रीय मदद की घोषणा नहीं हुई तो राज्य सरकार आयोजन को लेकर मुश्किल में पड़ जाएगी।

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