मौसम और प्रकृति में बदलाव का पर्व है मकर सक्रांति

मौसम और प्रकृति में बदलाव का पर्व है मकर सक्रांति

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  • Publish Date - January 14, 2018 / 05:52 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

वेब डेस्क। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश ही मकर संक्राति कहलाता है, इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है, शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, तप, जप और अनुष्ठान का अत्याधिक महत्व है। मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी रविवार को रात 8ः00 बजे होगा। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार पर्व का पुण्यकाल 16 घंटे का जो 15 जनवरी दिन सोमवार को दोपहर 12.00 बजे तक रहेगा। सामान्य पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा, यदि सूर्य रात्रि के समय मकर राशि में प्रवेश करे तो पर्वकाल दूसरे दिन तक मान्य होता है। इसी दिन से सौरमास का आरम्भ होता है,

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ज्योतिषीय नजरिये से देखा जाय तो सूर्य के शनि कि राशि में प्रवेश से तमाम तरह की परिस्थिति बदलती है। मौसम में बदलाव के साथ ही प्रकृति में बदलाव भी शुरू हो जाता है, ज्योतिष में सूर्य को पिता और शनि को बेटा माना जाता है और दोनों में विरोधाभाष के कारण नहीं पटती जिसके कारण एक स्थान पर रहने से विरोध और न्याय अन्याय से सम्बन्धित गहमा गहमी बनती है। हमारे पुराणों में इसी अवरोध को दूर करने के लिए सूर्य से सम्बन्धित गुड और शनि के लिए तिल को मिलाकर तिल कि कडवाहट दूर कर तिल गुड का लड्डू प्रसाद में बाटा जाता है जिससे व्यवहार कि कडवाहट दूर होकर मिठास बने, तिल-गुड़ से बने व्यंजनों और लड्डुओं का मंदिरों में भोग लगाकर दान करना पुण्यकारी होता है। और जीवन से कटुता दूर होती है, और मिठास लेन के लिए खिचड़ी, सेम कि सब्जी का भोग लगाया जाता है.. सोने या ताम्बे के श्री यंत्र के पूजा करें। गेंहू , गुड़ , तांबा , लाल वस्त्र और लाल फल , शहद इत्यादि का दान करें …मकर लग्न के जातक यदि सूर्य की दशा हो तो महामृत्युंजय मन्त्र का जप करें। 

 

वेब डेस्क, IBC24