नयी दिल्ली । Three accused in Hathras case acquitted कांग्रेस ने रविवार को हाथरस के दुष्कर्म-हत्या मामले में तीन आरोपियों के बरी होने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि इसने उत्तर प्रदेश पुलिस और बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई ‘लचर जांच’ को उजागर कर दिया है। एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को हाथरस में वर्ष 2020 में एक युवती से दुष्कर्म और हत्या के मामले में मुख्य आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। कांग्रेस मुख्यालय में यहां एक पत्रकारवार्ता के दौरान कांग्रेस नेता डॉली शर्मा ने कहा कि हाथरस में जघन्य अपराध और इस मामले में सरकार की भूमिका ने भाजपा के ‘बेटी बचाओ’ नारे को बेनकाब कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने दलित समुदाय की नाबालिग लड़की को न्याय से वंचित करने का अपराध किया है, जो सबका साथ देने का नारा देती रहती है।’’
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Three accused in Hathras case acquitted शर्मा ने कहा कि अदालत का एक आरोपी को दोषी पाना और अन्य आरोपियों को बरी करना एक बार फिर उत्तर प्रदेश पुलिस और बाद में सीबीआई द्वारा की गई ‘लचर जांच’ को उजागर करता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में कांग्रेस पार्टी और हमारे नेता राहुल गांधी तथा पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा की ओर से लगातार आवाज बुलंद की गई और पीड़ित के परिवार को न्याय दिलाने की लगातार मांग की।’’ उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि दलित परिवार की नाबालिग बेटी से क्रूरता पूर्वक सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई, लेकिन केवल पुलिस की लचर जांच के कारण अभियोजन अदालत में दुष्कर्म का आरोप तक साबित नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि मुख्य आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या का आरोप साबित नहीं किया जा सका और अदालत ने संदीप (20) को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी ठहराया।
Three accused in Hathras case acquitted रवि (35), लव कुश (23) और रामू (26) को इस मामले में बरी कर दिया गया। इस मामले की वजह से लोगों में काफी आक्रोश था और योगी आदित्यनाथ नीत भाजपा सरकार को राज्य में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर कठघरे में खड़ा कर दिया था। अदालत ने संदीप के खिलाफ 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। शर्मा ने अन्य मामलों का भी हवाला दिया, जिसमें भाजपा नेता कथित रूप से महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की घटना में शामिल रहे, जैसे कि वर्ष 2017 का उन्नाव दुष्कर्म मामला, उत्तराखंड का अंकिता भंडारी मामला और गुजरात की भाजपा सरकार में बिल्कीस बानो मामले के दोषियों की रिहाई का मामला।