तीन युवाओं ने बदलवाया अपना सेक्स, दो बने लड़के और एक लड़की, जाने क्यों किया ऐसा
Three youths changed their sex : आज के समय में लोग सर्जरी का सहारा लेकर अपना लिंग बदलवा रहे हैं और अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर रहे हैं।
Three youths changed their sex
नई दिल्ली : Three youths changed their sex : आज के समय में लोग सर्जरी का सहारा लेकर अपना लिंग बदलवा रहे हैं और अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी ऐसा ही कुछ हुआ है। यहां लाला लाजपतराय मेडिकल कॉलेज में पहली बार लिंग सफलता पूर्वक पुनर्निर्धारण सर्जरी (Gender Reassignment Surgery) की गई।
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दो मरीज बने लड़की और एक बना लड़का
Three youths changed their sex : इस सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की टीम ने एक सफल लिंग ट्रांसप्लांट करके दो मरीजों को लड़की बनाया और एक को लड़का। सर्जरी करने वाले चिकित्सकों ने बताया एक लड़की को ऑपरेशन से लिंग प्रत्यारोपण करते हुए लड़का बना दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि लड़की में एक्सवई क्रोमोसोम थे, जिस वजह से उसमें पुरुषों के लक्षण थे। उसकी सहमति से लिंग प्रत्यारोपण कर दिया गया। यह पश्चिम उप्र का पहला ऑपरेशन है। डॉक्टर्स का कहना है कि मरीज पूरी तरह स्वस्थ है।
हार्मोंनल असंतुलन की वजह से उभर आते है लक्षण
Three youths changed their sex : मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉक्टर वीडी पाण्डेय ने बताया कि प्लास्टिक सर्जन डॉ. भानु प्रताप सिंह और अन्य डॉक्टर्स की टीम ने ऑपरेशन किया है। बताया गया कि हार्मोंनल असंतुलन की वजह से कई लड़कियों में लड़कों के लक्षण उभर आते हैं। तकरीबन 8 घंटे के ऑपरेशन के बाद पतली नसों को जोड़कर लिंग रोपण कर दिया गया। प्राचार्य डॉ.आरसी गुप्ता ने बताया कि विशेषज्ञ चिकित्सक कई बड़े ऑपरेशन कर चुके हैं। सुपरस्पेशियलिटी ब्लाक के चिकित्सकों की वजह से अब मरीजों को एम्स और पीजीआई नहीं जाना पड़ेगा।
डॉक्टरों ने बताया कैसे किया ऑपरेशन
Three youths changed their sex : डॉक्टरों ने बताया कि मरीज का क्रोमोसोम एक्सवाई था, जबकि लड़कियों में यह एक्स एक्स होता है। कई बार पुरुषों और महिलाओं में हार्मोस का असंतुलन होने से विपरीत लिंग वाले लक्षण उभरते हैं। इस सफलता से डॉक्टर्स की टीम बेहद उत्साहित हैं। उनके परिवार से मिलकर दोनों को लड़की बनाने की सहमति ली गई। उन्हें महिलाओं वाले हार्मोन्स एस्ट्रोजन की खुराक दी गई, जिस पर लड़कियों वाले लक्षण बढ़ने लगे।
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इसके बाद बड़ी आंत का थोड़ा भाग लेकर उसमें रक्त आपूर्ति जारी रखते हुए इसे नीचे लाया गया। प्लास्टिक सर्जरी के जरिए निजी अंग बनाकर दोनों मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया गया। आंत का भाग होने की वजह से इस अंग में नमी बनी रही। दोनों के क्रोमोसोम भले ही पुरुषों वाले मिले, लेकिन इनमें लड़कियों के लक्षण ज्यादा थे। ऐसे मरीजों में संतान पैदा करने की क्षमता नहीं होती।

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