केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आयुर्वेद, योग आधारित कोविड-19 प्रबंधन प्रोटोकॉल जारी किया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आयुर्वेद, योग आधारित कोविड-19 प्रबंधन प्रोटोकॉल जारी किया

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  • Publish Date - October 6, 2020 / 12:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड-19 के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए आयुर्वेदिक औषधियों और योग आधारित एक प्रोटोकॉल जारी किया। इसमें कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने और हल्के लक्षणों तथा लक्षणविहीन मामलों के उपचार के लिए अश्वगंधा और आयुष-64 जैसी औषधियां शामिल हैं।

हर्षवर्धन ने आयुष मंत्री श्रीपद नाईक की मौजूदगी में कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग आधारित राष्ट्रीय चिकित्सकीय प्रबंधन प्रोटोकॉल जारी किया।

स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से एक बयान में कहा गया, ‘‘रोग निरोधी कदमों वाला यह प्रोटोकॉल न सिर्फ कोविड-19 के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि आधुनिक समय की समस्याओं के समाधान में पारंपरिक ज्ञान को प्रासंगिक बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।’’

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के बाद आयुर्वेद पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके महत्व को देखते हुए इस पर ध्यान दिया।

आयुष मंत्रालय ने प्रोटोकॉल दस्तावेज में रेखांकित किया कि मौजूदा ज्ञान कहता है कि कोरोना वायरस संक्रमण और महामारी को आगे बढ़ने से रोकने में अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता मददगार है।

प्रोटोकॉल में अधिक जोखिम वाले लोगों तथा रोगियों के संपर्क में आए लोगों के उपचार के लिए अश्वगंधा, गुडूची घनवटी और च्यवनप्राश जैसी औषधियों के उपयोग का सुझाव दिया गया है।

इसमें कहा गया है कि लक्षणविहीन रोगियों के उपचार, बीमारी को लक्षणों तथा गंभीर स्वरूप में तब्दील होने से रोकने तथा ठीक होने की दर में सुधार के लिए गुडूची घनवटी, गुडूची और पीपली या आयुष-64 का इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रोटोकॉल में कहा गया है कि गुडूची और पीपली तथा आयुष-64 गोलियां हल्के लक्षण वाले कोविड-19 मरीजों को दी जा सकती हैं।

प्रोटोकॉल में इन दवाओं की खुराक के बारे में भी उल्लेख किया गया है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि इन दवाओं के साथ ही सामान्य एवं आहार संबंधी कदमों का भी पालन किया जाना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि मध्यम स्तर के लक्षणों से लेकर गंभीर लक्षणों वाले लोगों को उपचार विकल्पों के बारे में अवगत होना चाहिए और सभी गंभीर मामले रेफर किए जाएंगे।

डॉक्टर इस सूची में से अपने चिकित्सकीय निर्णय, उपयुक्तता, उपलब्धता और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर दवाओं का चयन कर सकते हैं।

मंत्रालय ने कहा कि दवा की खुराक रोगी की आयु, वजन और बीमारी की स्थिति के हिसाब से कम या अधिक की जा सकती है।

प्रोटोकॉल दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि कोविड-19 से उबरने के बाद फेफड़े संबंधी जटिलताओं, थकान और मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के प्रबंधन के लिए अश्वगंधा, च्यवनप्राश या रसायन चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है।

श्वसन और हृदय क्षमता में सुधार, तनाव और चिंता को कम करने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए मंत्रालय ने कोविड-19 के पूर्व नियंत्रण प्रोटोकॉल में योग को सूचीबद्ध किया है।

दस्तावेज में कोविड-19 से उबरने के बाद श्वसन तंत्र और फेफड़ों की क्षमता में सुधार तथा तनाव और चिंता कम करने के लिए भी योग प्रोटोकॉल का उल्लेख है।

इसमें कहा गया है, ‘‘प्रोटोकॉल और इससे संबंधित चीजों को कोविड-19 के हल्के लक्षणों के प्रबंधन में आयुर्वेद और योग को शामिल करने से संबंधित अंतर्विषयक समिति के अध्यक्ष की अनुमति प्राप्त है। इन्हें कोविड-19 संबंधी अंतर्विषयक आयुष अनुसंधान एवं विकास कार्यबल की अधिकार प्राप्त समिति से भी मान्यता प्राप्त है।’’

प्रोटोकॉल में आहार संबंधी कदमों में अदरक, धनिया, तुलसी और जीरे के साथ गरम पानी पीने की सलाह दी गई है। इसके अलावा 150 मिलीलीटर दूध में रात में एक बार आधा चम्मच हल्दी लेने और दिन में एक बार आयुष काढ़ा पीने की सलाह दी गई है।

बयान में कहा गया कि हर्षवर्धन ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि प्रोटोकॉल में आसानी से उपलब्ध आयुर्वेदिक औषधियां शामिल की गई हैं।

मंत्रालय ने कहा कि इस सर्वसम्मत दस्तावेज को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान दिल्ली, स्नातकोत्तर आयुर्वेद प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान जामनगर, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर, केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद, केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद तथा अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों की समिति ने तैयार किया है।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव