यूपीएससी ने नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये भर्ती के लिए जारी नवीनतम विज्ञापन रद्द किया

यूपीएससी ने नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये भर्ती के लिए जारी नवीनतम विज्ञापन रद्द किया

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  • Publish Date - August 20, 2024 / 06:11 PM IST,
    Updated On - August 20, 2024 / 06:11 PM IST

नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने मंगलवार को केंद्र के अनुरोध पर नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ भर्ती के लिए जारी अपना नवीनतम विज्ञापन रद्द कर दिया।

विपक्षी दलों द्वारा ‘लेटरल एंट्री’ भर्ती का विरोध किए जाने के बीच आयोग ने यह कदम उठाया है।

यूपीएससी ने 17 अगस्त को ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी।

यूपीएससी ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति करता है, जिन पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है। इस व्यवस्था के तहत निजी क्षेत्रों के अलग-अलग पेशे के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में सीधे संयुक्त सचिव और निदेशक व उप सचिव के पद पर नियुक्त किया जाता है।

नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये भर्ती की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इससे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के आरक्षण अधिकारों का हनन हुआ है।

यूपीएससी द्वारा जारी एक निरस्तीकरण नोटिस में कहा गया, ‘‘यह सभी संबंधित (पक्षों) की जानकारी के लिए है कि रोजगार समाचार, विभिन्न समाचार पत्रों और आयोग की वेबसाइट पर 17 अगस्त, 2024 को प्रकाशित विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव/निदेशक/उप सचिव स्तर के 45 पदों के लिए ‘लेटरल एंट्री’ से संबंधित विज्ञापन को, अपेक्षित प्राधिकारी के अनुरोध पर रद्द कर दिया गया है।’’

इससे पहले दिन में, केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर उक्त विज्ञापन रद्द करने को कहा “ताकि कमजोर वर्गों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।”

वहीं, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये नियुक्ति में आरक्षण के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है।

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण निर्णय से एक बार फिर बी आर आंबेडकर की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।

वैष्णव ने कहा, ‘‘यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के लिए बहुत पारदर्शी तरीका अपनाया। अब हमने उसमें भी आरक्षण का सिद्धांत लागू करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।’’

भाषा

शफीक पवनेश

पवनेश