vandalism in allahabad university

गेट खुलवाने की बात को लेकर इस यूनिवर्सिटी में बवाल, छात्रनेता का फटा सिर, गाड़ियों में भी तोड़फोड़

गेट खुलवाने की बात को लेकर इस यूनिवर्सिटी में बवाल, छात्रनेता का फटा सिर, गाड़ियों में भी तोड़फोड़! vandalism in allahabad university

Edited By :   Modified Date:  December 19, 2022 / 10:45 PM IST, Published Date : December 19, 2022/10:45 pm IST

vandalism in allahabad university इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) छात्रसंघ भवन का गेट खुलवाने को लेकर कांग्रेस के नेता विवेकानंद पाठक का सोमवार को सुरक्षाकर्मियों से विवाद हो गया। सुरक्षाकर्मी को एक थप्पड़ मारने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने एकजुट होकर छात्रों की रॉड और डंडे से पिटाई शुरू कर दी। जिससे विवेकानंद पाठक का सिर फट गया। कई छात्र चोटहिल हो गए। छात्रों ने बचाव में पथराव कर दिया। इसबीच परिसर में फायरिंग भी हुई। इसके बाद इविवि का माहौल बिगड़ गया। बमबाजी की सूचना फैली तो हड़कंप मच गया।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव विवेकानंद पूर्व में इविवि के छात्र नेता रहे हैं।

vandalism in allahabad university छात्रसंघ भवन पर हुई घटना की जानकारी मिलते ही परिसर में सैकड़ों की संख्या में छात्र एकजुट हो गए। गार्ड और छात्रों के बीच पथराव होने लगा। मौके पर पहुंचे पुलिस आयुक्त रमित शर्मा समेत अन्य पुलिस अफसर छात्रों को समझाने में लगे थे लेकिन आक्रोशित छात्र सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए। इसी बीच कुछ उपद्रवियों ने इविवि परिसर में तोड़फोड़ शुरू कर दी। परिसर में खड़ी बाइक और शिक्षकों की कार में पत्थर मारने लगे। इविवि की नई इमारत में पथराव कर उसके शीशे भी तोड़ दिए। पुलिस की मौजूदगी में ही बाइक में आग लगा दी गई। देखते ही देखते तीन बाइक, जनरेटर और कैंटीन को आग के हवाले कर दिया गया। बवाल के दौरान फायरिंग भी हुई।

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छात्रों का कहना है फायरिंग इविवि के सुरक्षाकर्मियों ने की जबकि इविवि प्रशासन इससे इनकार कर रहा है। इविवि की पीआरओ का कहना है फायरिंग परिसर में उपद्रव करने वाले उन लोगों ने की, जो इविवि के छात्र नहीं हैं। पथराव में अपर पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरि समेत कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं। पुलिस ने किसी तरह छात्रों को समझाकर मामला शांत कराया। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए छात्र विकास भवन के सामने धरने पर बैठ गए। पुलिस आयुक्त रमित शर्मा का कहना है कि छात्र और सुरक्षाकर्मियों में विवाद हुआ था। छात्रों को समझाकर शांत करा दिया गया है। घायलों का मेडिकल परीक्षण कराकर एफआईआर दर्ज की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज और इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

जख्मी विवेकानंद पाठक ने सुनाई आपबीती

छात्रसंघ बहाली को लेकर 2012 में चले लंबे आंदोलन से उभरे इविवि के पूर्व छात्र नेता विवेकानंद पाठक एनएसयूआई के महासचिव भी रह चुके हैं। विवेकानंद ने मीडियाकर्मियों को अपनी बीती सुनाई। उन्होंने तीन सुरक्षाकर्मियों की पहचान करके एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है। वह घायल होते हुए भी घंटों इविवि परिसर में डटे रहे। तहरीर के मुताबिक विवेकानंद पाठक का इविवि परिसर के अंदर स्थित एसबीआई बैंक में खाता है। बैंक की ओर से उन्हें केवाईसी अपडेट के लिए नोटिस जारी हुआ था। सोमवार को ढाई बजे वह बैंक जाने के लिए पहुंचे थे। आरोप है कि गेट पर सुरक्षाकर्मी प्रभाकर से गेट खोलने को कहा तो वह अपशब्द कहने लगा। किसी पुलिसकर्मी ने मामला शांत कराया।

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इधर सुरक्षाकर्मी ताराचंद और एमके पांडेय आदि ने साढ़े तीन बजे बैठक की। इसके बाद उनकी हत्या की नीयत से रॉड लेकर पहुंचे। उस वक्त छात्रसंघ भवन पर विवेकानंद पाठक अपने साथी अजीत कुमार यादव, राहुल पटेल, हरेंद्र यादव समेत अन्य छात्रों के साथ बैठे थे। आरोप है कि वहां पहुंचे प्रभाकर सिंह ने गोली चला दी। अन्य ने रॉड से हमला कर दिया। इसमें वह अन्य छात्रों के साथ जख्मी हो गए। यह भी बताया कि इस हमले से पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर राकेश सिंह और कर्नलगंज इंस्पेक्टर राममोहन राय ने मामला शांत कराया लेकिन इसके बाद 40 लोगों को लेकर हमला किया गया। पुलिस ने घायलों का मेडिकल परीक्षण कराया है।

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गार्ड ने गोली नहीं चलाई, उपद्रवी कर रहे थे फायरिंग: पीआरओ

इविवि परिसर में हुई घटना के संबंध में अपना पक्ष रखते हुए इविवि की पीआरओ प्रो. जया कपूर ने कहा है कि कुछ उपद्रवी तत्वों द्वारा विश्वविद्यालय के गेट का ताला तोड़ने की कोशिश की और गॉर्ड के रोकने पर सुरक्षाकर्मियों से बदसलूकी और मारपीट की। इसके बाद उपद्रवियों ने झुंड बनाकर परिसर में तोड़फोड़ एवं आगजनी की, जिससे परिसर में भय और अराजकता का माहौल व्याप्त हो गया है। उपद्रवी तत्व विश्वविद्यालय के छात्र नहीं हैं।

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उपद्रवियों ने एक मोटरसाइकिल को आग लगाई, दो शिक्षकों की कार के शीशे तोड़े, एक जनरेटर में आग लगाई और विश्वविद्यालय की कैंटीन में आगजनी की। इसके साथ ही वे फायरिंग भी कर रहे थे। पुलिस द्वारा इस पूरे घटनाक्रम को मूक दर्शक बनकर देखना बेहद अफसोस जनक रहा। विश्वविद्यालय के किसी भी गॉर्ड ने गोली नहीं चलाई जबकि उपद्रवी तत्वों की ओर से बराबर हवाई फायरिंग की जा रही थी।

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