नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) वक्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 पर चर्चा के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार से देश में धर्म निरपेक्ष माहौल बनाने की अपील करते हुए कहा कि देश में गरीबी से लेकर और भी कई समस्याएं हैं जिनके खिलाफ जंग जरूरी है और यह विधेयक समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाएगा।
विपक्षी सदस्यों ने वक्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 को संविधान विरोधी बताते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।
उच्च सदन में वक्फ़ संशोधन विधेयक, 2025 पर चर्चा में भाग लेते हुए आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि सरकार वक्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 के माध्यम से बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान पर आघात कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि यह कानून मुसलमानों के भले के लिए है जबकि संसद के दोनों सदनों में सत्ताधारी दल का केवल एक मुसलमान सदस्य है और मंत्रिमंडल में एक भी मुसलमान मंत्री नहीं है।
सिंह ने इस विधेयक को ‘‘धार्मिक संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश’’ करार देते हुए कहा कि धीरे धीरे दूसरे धर्मों की संपत्ति भी इसी तरह कब्जा की जाएगी।
उन्होंने सरकार पर तथ्यों को छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2013 में भाजपा के समर्थन से पारित हुए विधेयक में भी वक्फ़ बोर्ड में महिलाओं को जगह देने का प्रावधान था।
सिंह ने कहा ‘‘सरकार को लोकसभा चुनाव में केवल 36 फीसदी वोट मिले जिससे साफ है कि देश की 64 फीसदी आबादी उसके खिलाफ है। क्या गुरुद्वारा प्रबंधक समिति में गैर सिखों को सदस्य बनाया जा सकता है? क्या हिंदुओं के ट्रस्ट में, मंदिरों के ट्रस्ट में गैर हिंदुओं को सदस्य बनाया जा सकता है? फिर वक्फ़ बोर्ड में गैर मुसलमानों को क्यों रखा जाना चाहिए ?’’
उन्होंने सरकार पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि नये विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि पांच साल से इस्लाम धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति ही जमीन वक्फ़ कर सकता है। उन्होंने कहा ‘‘सरकार कैसे पता लगाएगी कि जमीन वक्फ़ करने का इच्छुक व्यक्ति पांच साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा है ? क्या उसके घर पर सीसीटीवी कैमरे लगाएंगे ? क्या यह पता करेंगे कि वह नमाज पढ़ता है या नहीं ?’’
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा ‘‘देश के बंटवारे के बाद समुदायों के बीच विश्वास की कमी थी जिसे संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के जरिये दूर करने का प्रयास किया गया। ’’
उन्होंने कहा कि सरकार को आज का माहौल देखना चाहिए और सोचना चाहिए कि क्या उसके पास बहुत बड़ा बहुमत है ? ‘‘हमारी आदत बन गई है समुदायों को हाशिये पर छोड़ने की। ’’
झा ने कहा कि इस देश के हिंदुओं को मुसलमानों की और मुसलमानों को हिंदुओं की आदत है। ‘‘सरकार यह आदत मत बदलवाए।’’
उन्होंने कहा कि पहले देश का माहौल पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष बनाएं तब वक्फ़ बोर्ड में गैर मुसलमानों को रखने की बात की जाए अन्यथा ‘‘एक कौम के साथ प्रयोग न करें।’’
उन्होंने कहा कि गरीबी और अन्य समस्याओं के खिलाफ जंग छेड़ना चाहिए, न कि ऐसे विधेयक पर जोर देना चाहिए। उन्होंने विधेयक पर पुन: विचारविमर्श करने का सुझाव दिया।
बीजू जनता दल के मुजीबुल्ला खान ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि पहले अगर किसी के पास अधिक जमीन होती थी तो वह उसे वक्फ़ को विकास कार्य के लिए देता था ताकि वहां स्कूल या अस्पताल या ऐसा कोई उपयोगी संस्थान बन जाए।
उन्होंने कहा कि बाद में हालात बदले, लेकिन ऐसे हालात नहीं आए कि यह विधेयक लाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की बात करती है लेकिन उसे यह सोचना चाहिए कि मुसलमान उस पर विश्वास क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि सरकार मुसलमानों के मन में छिपे डर को दूर करे, क्योंकि वह सबकी सरकार है।
उन्होंने मांग की कि नमाज का समय हो जाने पर कहीं भी नमाज पढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर कोई सड़क पर नमाज पढ़ रहा हो तो उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ओडिशा की पहचान भगवान जगन्नाथ के नाम से है और पुरी में भगवान जगन्नाथ के सबसे बड़े भक्त सालबेग हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर से रथ यात्रा निकलती है और सालबेग की मजार के पास रुकती है। ‘‘भगवान अपने भक्त सालबेग से मिलते हैं और वहां भोग चढ़ाने के बाद यात्रा आगे बढ़ती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है जो सद्भाव की एक मिसाल देती है।’’
उन्होंने मांग की कि सरकार यह आश्वासन दे कि वक्फ़ की जमीन किसी दूसरे लोगों को नहीं दी जाएगी।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वाई वेंकट सुब्बा रेड्डी ने विधेयक का विरोध करते हुए दावा किया कि यह मुसलमानों के मामलों में हस्तक्षेप है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक न केवल मुसलमानों के बुनियादी अधिकारों के खिलाफ बल्कि समानता के अधिकार के खिलाफ भी है और इसे मुसलमानों की जमात कभी मंजूर नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि मुसलमान इस मसौदा कानून को नहीं मानेंगे।
माकपा के जान ब्रिटॉस ने कहा कि यह विधेयक समानता, लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों से लेकर कई बिंदुओं पर असर डालेगा। उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक भगवान और अल्लाह के बीच अंतर पैदा करेगा जबकि ईश्वर तो एक ही होता है।
उन्होंने कहा ‘‘आप पहले मणिपुर में तो हालात सामान्य कीजिये, बाद में मुसलमानों का कल्याण कीजियेगा।’’
झारखंड मुक्ति मोर्चा के डॉ सरफराज अहमद ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार की नीयत पर उन्हें संदेह है।
उन्होंने कहा ‘‘हर धर्म के लोगों को अपनी संस्था बनाने और लोगों की खिदमत करने का अधिकार है। वक्फ़ बोर्ड जबरदस्ती किसी की जमीन नहीं हड़पता। जमीन देने वाला अपनी इच्छा से जमीन देता है तब उसे लिया जाता है। ’’
भाषा
मनीषा माधव
माधव