Bombay High Court: पत्नी ने मर्दानगी पर उठाया सवाल तो पति पहुंचा कोर्ट, दायर की थी मानहानि की याचिका, अदालत ने कहा- पत्नी को है नपुंसक बोलने का अधिकार

पत्नी ने मर्दानगी पर उठाया सवाल तो पति पहुंचा कोर्ट, When the wife questioned his manhood, the husband went to court

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  • Publish Date - August 2, 2025 / 07:29 PM IST,
    Updated On - August 3, 2025 / 12:06 AM IST
HIGHLIGHTS
  • तलाक की कार्यवाही में ‘नपुंसक’ कहना मानहानि नहीं माना जाएगा
  • कोर्ट ने कहा, पत्नी को अपने बचाव में आरोप लगाने का हक
  • नपुंसकता का आरोप हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध तलाक का आधार

मुंबईः Bombay High Court: पत्नी अगर पति को नपुंसक बोलती है तो यह अपराध नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में इस टिप्पणी के साथ पति की ओर से दायर मानहानि की याचिका को खारिज कर दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक मामलों में एक महिला द्वारा पति पर लगाए गए नपुंसकता के आरोप उस स्थिति में मानहानि नहीं माने जाते, जब वह अपने हितों की रक्षा के लिए ऐसे आरोप लगाती है।

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Bombay High Court: दरअसल, एक महिला ने अपने पति से तलाक की अर्जी दी थी। अर्जी में और अपनी FIR में उसने यह भी कहा था कि उसका पति ‘नपुंसक’ है, यानी वह शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थ है। महिला का कहना था कि इसी कारण उसे मानसिक रूप से काफी तकलीफ हुई और उसने यही वजह बताकर कोर्ट में तलाक की मांग की।
इस पर उसके पति ने पलटवार करते हुए उस महिला, उसके भाई और पिता पर मानहानि यानी बदनामी का केस कर दिया। पति ने कहा कि ऐसे आरोपों से समाज में उसकी इज्जत खराब हुई है और यह गलत तरीके से किया गया है। उन्होंने कोर्ट में मानहानि की याचिका दायर की।

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जस्टिस एसएम मोडक की बेंच ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक याचिका में नपुंसकता का आरोप उचित है। कोर्ट ने कहा कि जब पति-पत्नी के तलाक का मामला कोर्ट तक पहुंचता है, तो पत्नी को अपने पक्ष में ऐसे आरोप लगाने का अधिकार है। उसने कहा कि नपुंसकता के आरोप तलाक का आधार बन सकते हैं। अदालत ने कहा कि तलाक की कार्यवाही के दौरान पत्नी द्वारा ऐसे आरोप लगाए जाने को मानहानिकारक नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में साफ किया है कि कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा पति को ‘नपुंसक’ कहना बदनामी नहीं, बल्कि तलाक के लिए अपना पक्ष रखने का अधिकार है।

क्या पत्नी का पति को ‘नपुंसक’ कहना अपराध है?

नहीं, अगर यह आरोप वैवाहिक विवाद या तलाक की प्रक्रिया में लगाए गए हैं तो यह मानहानि नहीं मानी जाती।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया?

कोर्ट ने कहा कि पत्नी को अपने तलाक के पक्ष में ‘नपुंसकता’ जैसे आरोप लगाने का अधिकार है। इससे पति की मानहानि नहीं होती।

क्या पति मानहानि का केस कर सकता है?

तलाक की प्रक्रिया के दौरान लगाए गए आरोपों के लिए नहीं। लेकिन झूठे या दुर्भावनापूर्ण आरोप साबित होने पर अलग मामला बन सकता है।

क्या नपुंसकता तलाक का आधार है?

हां, हिंदू विवाह अधिनियम के तहत नपुंसकता तलाक के वैध कारणों में आता है।

क्या ऐसे मामलों में दोनों पक्षों की मेडिकल जांच होती है?

जरूरत पड़ने पर अदालत मेडिकल जांच का आदेश दे सकती है, लेकिन यह स्थिति और साक्ष्यों पर निर्भर करता है।