rajasthan political crisis : जयपुर – राजस्थान में सियासी घमासान जारी है। राजस्थान के इस मैच रूपी श्रृंखला में दो टीमें आमने-सामने दिखाई दे रही है। हालांकि यह एक ही टीम है कांग्रेस टीम। लेकिन राजस्थान की सत्ता का मैच जीतने के लिए एक ही टीम दो रूपों में विभक्त हो गई है। पहली टीम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे की है जिसकी कप्तानी भी वही कर रहे है। वहीं दूसरी टीम की बात करें तो सत्ता कांग्रेस के नेता और युवाओं की पहली पसंद सचिन पायलट की टीम है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
rajasthan political crisis : मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए हो रहे कांग्रेस के दो गुटों के बीच का मैच बेहद ही रोमांचिक हो रहा है। देखना होगा कि कांग्रेस में इन दोनों दिग्गजों में से किसका मैन आॅफ द मैच मिलता है। गहलोत अभी भी पायलट को दरकिनार कर रहे है। वहीं कांग्रेस में भी सचिन की सुनवाई नहीं हो रही है। आपकों बता दें कि 19 महीनों से पायलट के पास कांग्रेस पार्टी में कोई भी पद नहीं है। ऐसे में देखना यह होगा कि इस घमासान के बाद पायलट पर पार्टी कोई उम्मीद कायम करती है या नहीं।
rajasthan political crisis : सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं अब भी जिंदा है। क्योंकि प्रभारी अजय माकन के बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि हाईकमान रविवार को हुए घटनाक्रम से नाराज है। ऐसे में इसका अप्रत्यक्ष रूप से पूरा फायदा पायलट को मिलेगा। ऐसी संभावना सामने आ रही है कि इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस पार्टी के चेहरे के रूप में पायलट को सीएम बनाने का फैसला कर करें तो कांग्रेस के लिए फायदे में होगा। क्योंकि पार्टी के बहुत सारे विधायक बगावत की स्थिति तक नहीं जाना चाहेंगे लेकिन ऐसे में एक बार फिर पायलट के पक्ष में समीकरण बन सकते है।
rajasthan political crisis : इस सियासी नाटक के बीच कांगे्रस को अगर यह नाटकीय खेल समाप्त करना है तो अलाकमान यह निर्णय कर सकता है कि पायलट को पीसीसी चीफ बना दिया जाए। गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री रहें और कांग्रेस का नेशनल अध्यक्ष कोई और बने। लेकिन यह निर्णय पार्टी तभी ले जब पायलट को भरोसा दिलाए कि आगामी 2023 विस चुनाव में सीएम का चेहरा पायलट की होंगे। तभी पायलट कांग्रेस के फैसले को मंजूर कर सकते हैं।
rajasthan political crisis : एक ओर पायलट कांग्रेस से तो नाराज चल ही रहे है और दूसरी ओर अशोक गहलोत के लिए उनकी नाराजगी साफ देखी जाती है। ऐसे में पायलट के लिए एक यह निर्णय योग्य होगा कि वह भाजपा ज्वाइन करें इसके बाद पायलट या तो अपने साथ कुछ विधायकों को सम्मलित कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। और यह पायलट के लिए कोई बडी बात नहीं है। अगर कांग्रेस ने इस बाद पायलट की नहीं सुनी तो अधिकांशतः पायलट के पास एक ही रास्ता होता है सीएम बनने का कि वह भाजपा के साथ राजस्थान में सरकार बनाएं।
rajasthan political crisis : मध्यप्रदेश में जब कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार बनाई थी तब कांग्रेस में रहे सिंधिया ने पूरे प्रदेश में जनसभाएं कर जनता को कांग्रेस के प्रति आकर्षित करने का काम किया था। पिछले मप्र विस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने का कारण यह था कि जनता ने सीएम का चेहरा कांग्रेस की ओर से सिंधिया को माना था लेकिन एक दम से कमलनाथ ने बाजी मारकर सीएम के लिए अपना नाम आगें किया और सिंधिया को दरकिनार कर दिया। जिसके बाद सिंधिया ने भाजपा ज्वाइन कर ली और भाजपा ने केंद्रीय मंत्री के रूप में उनको स्थान दिया।
rajasthan political crisis : जैसी हालत सिंधिया की कांग्रेस में थी वैसी ही हालत अब कांग्रेस में सचिन पायलट की हो गई है। वहीं एक और बात बता दूं कि सिंधिया-पायलट गहरे दोस्त भी है। जब कांग्रेस में सिंधिया की नाराजगी देगी गई तो कांग्रेस ने पालयट को भेजा था सिंधिया की नाराजगी दूर करने के लिए। वहीं दोस्ती का फायदा उठाकर सिंधिया पायलट को बीजेपी में आने के लिए मना सकते है। हालांकि अभी इस घटनाक्रम के बीच सिंधिया का कोई बयान नहीं आया। जानकारी अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस के लिए पायलट की नाराजगी नहीं गई तो सिंधिया दावं देखकर पायलट को बीजेपी में ज्वाइन करने की नसीहत दे सकते है। और फिर भाजपा के साथ मिलकर राजस्थान में पायलट अपनी सरकार बना सकते है।
rajasthan political crisis : रविवार को हुए पूरे घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के कई नेताओं का यह कहना है कि इस वाकये से अशोक गहलोत को बड़ा राजनीतिक नुकसान होगा। अशोक गहलोत की अब तक गांधी परिवार के प्रति वफादार और कांग्रेस के सच्चे सिपाही की छवि थी। माना जाता था कि गहलोत कभी भी गांधी परिवार के फैसले के खिलाफ नहीं जाएंगे।
rajasthan political crisis : मगर रविवार को जो हुआ उसे कांग्रेसी नेता गहलोत का आत्मघाती गोल मान रहे हैं। नेताओं का मानना है कि इस घटना के बाद अशोक गहलोत की छवि को नुकसान पहुंचेगा। कांग्रेस में जिस तरह उन्हें गांधी परिवार के बाद सबसे सशक्त नेता माना जा रहा था, उनका वह कद घट जाएगा। कई नेताओं का यह भी कहना है कि इस घटना के बाद संभव है कि गहलोत अब अध्यक्ष न बनें, साथ ही उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छिन जाए।
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