Jagdeep Dhankhar | Photo Credit: IBC24
नई दिल्ली: बात उप-राष्ट्रपति जगदीप धनख़ड़ के इस्तीफे की। राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात अचानक अपने इस्तीफे का ऐलान कर सबकों हैरान कर दिया। हालांकि, धनखड़ ने राष्ट्रपति के लिखे भावुक पत्र में फैसले की वजह, अपनी सेहत को बताया। मंगलवार को इस्तीफा मंजूर भी हो गया। इस बावत गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये मामला इतना सीधा, इतना सिंपल है?
21 तारीख को शुरू हुए मॉनसून सत्र के पहले दिन की सोमवार को धनखड़ सुबह 11 बजे सदन में आए, अपनी चिर परिचित मुस्कुराहट के साथ पूरा दिन वो तय शेड्यूल के मुताबिक कार्य किया। फिर अचानक, रात सवा नौ बजे तरकीबन इसी वक्त उप-राष्ट्रपति ऑफिस की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उनके इस्तीफे का पत्र सामने आ गया। सवाल ये कि आखिर 10 घंटे में ऐसा क्या हुआ? सवाल हैं तो भी सियासत भी है। हर किसी ने इसे अपने-अपने चश्में से देखा और अलग-अलग थ्योरी रखी।
वहीं दिग्गज कांग्रेस जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘कल दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 4.30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई है। जिसकी वजह से नड्डा और रिजिजू ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
विपक्ष का आरोप है कि इस्तीफे के पीछे सियासत है। कुछ का तर्क है कि इस घटनाक्रम का जस्टिस वर्मा महाभियोग से कनेक्शन हो सकता है। आखिर धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की असल कहानी क्या है?
बिहार में बस विधानसभा चुनाव होने को हैं। बीजेपी गठबंधन में है, जीत के बात नीतिश बाबू CM बनना चाहते हैं और बीजेपी पद पर अपना फेस लाना चाहती है। चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश के लिए उप-राष्ट्रपति पद खाली करावाया जा रहा है। ये चर्चा छेड़ी है बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर से, उन्होंने कहा कि ‘अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाए तो ये बिहार के लिए बहुत अच्छा होगा।
धनखड़ लगातार न्यायपालिका के खिलाफ तीखे बयान देते रहे। सरकार असहज होती रही। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन कानून रद्द किए जाने की निंदा करते हुए न्यायपालिका द्वारा संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन का आरोप लगाया। उनके बयानों को अक्सर सरकार का रुख माना जाता था, जिससे सरकार आलोचना के घेरे में आ जाती थी।
मॉनसून सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में धनखड़ ने एक नोटिस को स्वीकार कर लिया, जिसमें 68 विपक्षी सांसदों ने जज यशवंत वर्मा को हटाने की मांग की थी। ये ठीक उस वक्त हुआ जब सरकार लोकसभा में एक अहम प्रस्ताव लाने वाली थी। यानि सरकार के पास से इसका ‘क्रेडिट’ लेने का अवसर छिन गया। इसी के बाद से घटनाक्रम में कुछ बदलाव दिखे।
जैसे राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की महत्वपूर्ण मीटिंग में नड्डा और रिजिजू शामिल नहीं हुए। नड्डा ने सदन में ये भी कहा था कि,’रिकॉर्ड पर सिर्फ वही आएगा जो मैं बोलूंगा.’ माना जा रहा है कि इसे लेकर भी धनखड़ असहज हो गए थे। हालांकि, थ्योरीज जो भी हो लेकिन ये भी संभव हो सकता है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे वास्तव में स्वास्थ्य कारण हो सकता है।