क्या CAA से किसी की नागरिकता भी छीनेगी? मुस्लिमों को क्यों नहीं किया गया शामिल? यहां पढ़े पूरी कहानी..

Will CAA take away anyone's citizenship?: इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी।

क्या CAA से किसी की नागरिकता भी छीनेगी? मुस्लिमों को क्यों नहीं किया गया शामिल? यहां पढ़े पूरी कहानी..

CAA Full Story

Modified Date: March 11, 2024 / 07:10 pm IST
Published Date: March 11, 2024 7:10 pm IST

Will CAA take away anyone’s citizenship? : नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बड़ा ऐलान कर दिया है। नागरिक संशोधन कानून यानी CAA को जल्द लागू किया गया। इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया है। इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। अब से सीएए के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर सीएए आने के बाद क्या किसी की नागरिकता छिन जाएगी? तो चलिए हम इस बात को भी स्पष्ट कर देते हैं।

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क्या किसी की नागरिकता जाएगी?

बता दें कि सरकार ने पहले ही साफ किया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) में किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। यानी किसी की नागरिकता पर कोई संकट नहीं है। गृह मंत्री का कहना है कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है। CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए गैर मुस्लिम छह समुदायों को नागरिकता देने का प्रावधान किया है।

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तीन मुस्लिम देशों के अस्पसंख्यकों को मिलेगी नागरिकता

CAA लागू होने से अब तीन मुस्लिम देशों के अस्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।

मुस्लिमों को क्यों नहीं किया गया शामिल?

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की सबसे बड़ी वजह यही है। विरोध करने वाले इस कानून को एंटी-मुस्लिम बताते हैं। उनका कहना है कि जब नागरिकता देनी है तो उसे धर्म के आधार पर क्यों दिया जा रहा है? इसमें मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया जा रहा?

इस पर सरकार का तर्क है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं और यहां पर गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर सताया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है। इसी कारण गैर-मुस्लिम यहां से भागकर भारत आए हैं। इसलिए गैर-मुस्लिमों को ही इसमें शामिल किया गया है।

कानूनन भारत की नागरिकता के लिए कम से कम 11 साल तक देश में रहना जरूरी है। लेकिन, नागरिकता संशोधन कानून में इन तीन देशों के गैर-मुस्लिमों को 11 साल की बजाय 6 साल रहने पर ही नागरिकता दे दी जाएगी। बाकी दूसरे देशों के लोगों को 11 साल का वक्त भारत में गुजारना होगा, भले ही फिर वो किसी भी धर्म के हों।

 

क्या है CAA?

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा संसद में पेश किया गया था। इसमें गैर-मुस्लिम शरणार्थियों जैसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके दायरे में वे सभी शरणार्थी आएंगे, जो कि 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लौटकर भारत में बस गए थे। दिसंबर 2019 में सीएए के संसद में पास होने के बाद देशभर में मुस्लिम समुदाय ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था।

 

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लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years