भारत-सिंगापुर सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए काम कर रहे: राष्ट्रपति षणमुगरत्नम

भारत-सिंगापुर सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए काम कर रहे: राष्ट्रपति षणमुगरत्नम

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  • Publish Date - January 18, 2025 / 09:01 PM IST,
    Updated On - January 18, 2025 / 09:01 PM IST

भुवनेश्वर, 18 जनवरी (भाषा) सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षणमुगरत्नम ने शनिवार को कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख ध्रुव के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि उनका देश सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र और हवाई संपर्क के क्षेत्र में योगदान करने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने ओडिशा के अपने दो दिवसीय दौरे के अंत में मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘भारत एक बहुध्रुवीय दुनिया में अपने तरीके से एक ध्रुव बनने की आकांक्षा रखता है, जो भू-राजनीतिक रूप से सच होने के साथ आर्थिक रूप से भी सच है। भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख ध्रुव के रूप में उभर रहा है। भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसके साथ हम सहयोग करना चाहेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अपनी जनसांख्यिकी, अपनी विकास प्रक्रियाओं और अपनी निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की अहम क्षमता के कारण, भारत एक ऐसा देश है जिसके साथ सिंगापुर संभवतः सहयोग करेगा।’’

उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर की प्राथमिकताएं भी बहुत हद तक समान हैं। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के तहत स्थापित प्राथमिकताओं के अनुसार, दोनों सरकारें भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। सिंगापुर देख रहा है कि यह कैसे ‘पारिस्थितिकी तंत्र’ में योगदान दे सकता है और यह नई पीढ़ी के औद्योगिक पार्कों पर भी विचार कर रहा है, विशेष रूप से सेम्बकॉर्प बहुत सक्रिय रूप से नए औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए संभावित स्थलों की खोज कर रहा है।’’

षणमुगरत्नम ने कहा कि दोनों देश कौशल विकास पर भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जो भारत के भविष्य को सुरक्षित करने का एक प्रमुख कारक है।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि सिंगापुर के पास इस क्षेत्र में कुछ अनुभव है, इसलिए उसका इरादा भारत के कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने में एक खिलाड़ी बनने का है।’’

‘संपर्क’ को अहम बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय नेतृत्व के साथ मेरी बैठकों के दौरान, हमने हवाई सेवा समझौते का विस्तार करने के प्रति अपनी उत्सुकता साझा की, जिसे आखिरी बार लगभग 10 साल पहले संशोधित किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि हवाई सेवा समझौते के विस्तार से दोनों देशों और उनकी अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

भाषा संतोष माधव

माधव