नई दिल्ली । पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार लगातार सख्ती बरत रही है। घाटी में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 35-A पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। ऐसे में अलगाववादी नेता घाटी में लोगों को भड़का सकते हैं,इसी के मद्देनजर यासीन मलिक को शुक्रवार रात उनके मैसूमा निवास से गिरफ्तार किया गया है। यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का मुखिया है।
हालात को काबू रखने की गई गिरफ्तारी
यासीन मलिक कि गिरफ्तारी के पीछे मुख्य मुद्दा कानून व्यवस्था को संभालना है । माना जा रहा है कि संविधान की धारा 35-A पर सुनवाई से पहले एहतियातन प्रशासन ने यह कदम उठाया है । धारा 35-A के प्रावधान के तहत जम्मू कश्मीर के बाहर के व्यक्ति को इस राज्य में अचल संपत्ति खरीदने से प्रतिबंधित करते हैं। संविधान की इस धारा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
यासीन की सुरक्षा भी हुई थी वापस
इससे पहले गृह मंत्रालय के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 22 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और सरकारी सुविधाएं वापस ले ली हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के 155 राजनीतिक शख्सियतों को दी गई सुरक्षा में बदलाव किया था। इस सूची में यासीन मलिक का भी नाम था। इन अलगाववादी नेताओं और राजनीतिक व्यक्तियों की सुरक्षा में 1000 से ज्यादा पुलिसकर्मी और 100 के करीब सरकारी गाड़ियां लगी हुई थीं, इन्हें अब वापस ले लिया गया है। सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए यासीन मलिक ने कहा था कि सरकार ने उसे कोई सुरक्षा दी ही नहीं थी।
घाटी भेजी गई अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां तनाव के हालातों के बीच घाटी में बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बलों को भेजे जाने की खबरें हैं। मिली जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को कश्मीर घाटी भेजा है। इसमें सीआरपीएफ की 35, बीएसएफ की 35, एसएसबी की 10 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल है। गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव, मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजे गए फैक्स में गया है कि घाटी में तत्काल प्रभाव से इन बलों की तैनाती की जानी है। 22 तारीख को भेजे गए इस फैक्स में सीआरपीएफ को इन बलों की तत्काल रवानगी की व्यवस्था करने को कहा गया है। इतने बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती क्यों की जा रही है इसका खुलासा नहीं किया गया है।