कानपुर: भारत में बेरोजगारी आज की सबसे बड़ी समस्या है। जहां एक ओर सत्ता पाने के लिए कई राजनीतिक दल रोजगार देने का दावा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर लगातार बेरोजगार युवा नौकरी और रोजगार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में अनोखा मामला देखने को मिला है। यहां अभ्यर्थी पंचायत सहायक के पदों पर ज्वॉइन करने से पहले ही अधिकारियों को इस्तीफा थमा दे रहे हैं। साथ ही कोई और काम कर इससे ज्यादा पैसे कमान का हवाला दे रहे हैं।
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दरअसल मामला जिले के कल्याणपुर की होरा बांगर ग्राम पंचायत का है, जहां सियाराम राम नाम के शख्स का चयन पंचायज सहायक के तौर पर हुआ था। लेकिन सियाराम ने नौकरी नहीं ज्वॉइन की। उनका कहना है कि इस नौकरी में जितनी सैलरी मिलती है उससे ज्यादा तो वे पिज्जा बेचकर कमा लेते हैं। बताया गया कि सियारात की मां की मौत कोरोना से हो गई थी, जिसके बाद सियाराम को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी।
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वहीं, पतारा की कंठीपुर ग्राम पंचायत निवासी अजीत की पत्नी निधि वर्मा ने भी पंचायत सहायक के लिए आवेदन किया था। शैक्षिक योग्यता के आधार पर आधा दर्जन से ज्यादा दावेदारों को पछाड़ते हुए वह वरीयता सूची में पहला स्थान हासिल करने में कामयाब रहीं। निधि ने भी नौकरी करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने 16 सितंबर को शपथ पत्र के साथ इस्तीफा दे दिया है। इसकी वजह पारिवारिक समस्या बताई है। निधि के मुताबिक उनका 14 माह का बेटा है और सास की भी तबीयत ठीक नहीं रहती है, ऐसे में वह नौकरी की जगह बेटे और घर का ध्यान रखना चाहती हैं।
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