Actor Govardhan Asrani: ‘शक्ल देखकर मना कर देते थे डायरेक्टर’… फिर फिल्म शोले के इस रोल ने बना दिया अमर, असरानी की कहानी दिल छू जाएगी

Actor Govardhan Asrani: ‘शक्ल देखकर मना कर देते थे डायरेक्टर’… फिर फिल्म शोले के इस रोल ने बना दिया अमर, असरानी की कहानी दिल छू जाएगी

Actor Govardhan Asrani: ‘शक्ल देखकर मना कर देते थे डायरेक्टर’… फिर फिल्म शोले के इस रोल ने बना दिया अमर, असरानी की कहानी दिल छू जाएगी

Actor Govardhan Asrani/Image Source: IBC24

Modified Date: October 20, 2025 / 09:51 pm IST
Published Date: October 20, 2025 9:51 pm IST
HIGHLIGHTS
  • लुक की वजह से मिलते थे रिजेक्शन,
  • फिर 'शोले' के जेलर ने बना दिया आइकॉन,
  • असरानी की किस्मत कैसे पलटी,

Actor Govardhan Asrani: हिंदी सिनेमा के चहेते अभिनेता और निर्देशक गोवर्धन असरानी जिन्हें दुनिया भर में सिर्फ असरानी के नाम से जाना जाता है अब इस दुनिया में नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद उनका मुंबई में निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर से बॉलीवुड समेत लाखों प्रशंसकों के बीच शोक की लहर है। असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट जेवियर्स स्कूल, जयपुर से की और फिर राजस्थान कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद असरानी ने रेडियो आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी।

बॉलीवुड में असरानी की एंट्री आसान नहीं रही। उन्होंने जया भादुरी की फिल्म गुड्डी (1971) से फिल्मी करियर की शुरुआत की जो हिट रही और उनकी अदाकारी की सराहना हुई। लेकिन इसके बावजूद उन्हें इंडस्ट्री में पूरी तरह स्वीकार किए जाने में वक्त लगा। प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक कोमल नाहटा के शो में असरानी ने खुलासा किया था कि कई फिल्मकार, जिनमें गुलजार जैसे नाम शामिल थे उन्हें कमर्शियल एक्टर मानने से इनकार करते थे। गुलजार ने उनके चेहरे को अजीब बताते हुए अस्वीकार कर दिया था। वहीं दिग्गज डायरेक्टर एलवी प्रसाद ने कहा था असरानी न तो हीरो लगते हैं न विलेन न कॉमेडियन और न ही रोमांटिक किरदारों में फिट बैठते हैं। असरानी ने खुद बताया था कि इन बातों से वह बेहद निराश हुए थे और “डब्बा लेकर माफी मांगते हुए सेट से निकल गए थे।

Actor Govardhan Asrani: बॉलीवुड से मिले रिजेक्शन के बाद असरानी ने दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया। वहां उनके अभिनय कौशल को पहचाना गया और बड़े निर्माताओं के साथ काम करने का मौका मिला। इसके बाद हिंदी सिनेमा में भी उनका पुनः स्वागत हुआ। बी.आर. चोपड़ा ने उन्हें फिल्म‘निकाह में अहम भूमिका दी, जिसने उनकी प्रतिभा को मुख्यधारा में स्थापित किया। असरानी ने निर्देशन में भी हाथ आजमाया और हम नहीं सुधरेंगे, दिल ही तो है और ‘उड़ान’ जैसी फिल्मों का सफल निर्देशन किया। हालांकि असरानी ने अपने करियर में 300 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी अमर पहचान बनी 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘शोले’ में निभाया गया जेलर का किरदार। उनका संवाद “हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं…” आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसा हुआ है। यह किरदार उनकी हास्य प्रतिभा का शिखर था, जिसने उन्हें हर वर्ग के दर्शकों का चहेता बना दिया।

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लेखक के बारे में

टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।